.webp)
डिजिटल डेस्क। दुनिया आज सऊदी अरब को एक ऐसे देश के रूप में जानती है जहां कानून की सख्ती और शराब पर पूर्ण पाबंदी उसकी पहचान का हिस्सा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पाबंदी के पीछे केवल धार्मिक कारण नहीं थे? दरअसल, इतिहास के पन्नों में एक ऐसी भयानक शाम दर्ज है, जिसने पूरे शाही परिवार की नींव हिला दी थी।
यह कहानी है साल 1951 की, जब एक राजकुमार के नशे ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर खून की होली खेली थी।
कहानी शुरू होती है जेद्दा के तटीय शहर में, जहां ब्रिटिश उप-राजनयिक (वाइस-कॉन्सुल) सिरिल ओसमैन के घर पर एक छोटी सी पार्टी चल रही थी। उस शाम वहां एक 19 वर्षीय सऊदी राजकुमार मिशारी बिन अब्दुलअजीज की मौजूदगी थी।
शराब का दौर चला और धीरे-धीरे राजकुमार मिशारी अपना मानसिक संतुलन खोने लगे। नशे की हालत में उन्होंने पार्टी में मौजूद एक अंग्रेज महिला मेहमान के साथ दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ शुरू कर दी। एक सम्मानित अधिकारी के रूप में सिरिल ओसमैन के लिए यह असहनीय था। उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया और राजकुमार को फटकार लगाते हुए घर से बाहर निकाल दिया।
.jpg)
अपमान की वह आग अगली सुबह तक भी शांत नहीं हुई थी। राजकुमार मिशारी के लिए ओसमैन का इनकार उनके शाही गौरव पर एक चोट थी। अगले दिन, नशे और गुस्से में अंधे होकर मिशारी फिर से ओसमैन के घर जा पहुंचे और उसी महिला की मांग करने लगे। जब ओसमैन ने उन्हें दोबारा दुत्कार कर बाहर निकालने की कोशिश की, तो राजकुमार ने आव देखा न ताव और अपनी पिस्तौल से गोलियां दाग दीं।
क्षण भर में सब कुछ बदल गया। सिरिल ओसमैन की मौके पर ही मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह केवल एक हत्या नहीं थी, बल्कि एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय विवाद था जिसने लंदन से लेकर रियाद तक हड़कंप मचा दिया।
जब यह सूचना आधुनिक सऊदी अरब के संस्थापक राजा अब्दुलअजीज (इब्न सऊद) के पास पहुंची, तो वे स्तब्ध रह गए। उनके अपने परिवार के सदस्य ने एक विदेशी अधिकारी की हत्या कर दी थी। यह एक ऐसा कलंक था जिसने शाही परिवार की नैतिकता और देश के कानून पर सवाल खड़े कर दिए थे।
राजा ने तुरंत न्याय का पलड़ा संभाला। राजकुमार मिशारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन राजा ने समस्या की जड़ को ही खत्म करने का मन बना लिया। उन्होंने अनुभव किया कि शराब केवल स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि देश के शासन और बाहरी संबंधों के लिए भी विष समान है। साल 1952 में एक शाही आदेश जारी हुआ - पूरे सऊदी अरब में शराब की खरीद, बिक्री और सेवन पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। उस एक घटना ने देश के सामाजिक और कानूनी ढांचे को सदा के लिए बदल दिया।
दशकों तक सऊदी अरब इस कड़े नियम पर कायम रहा, लेकिन अब 'विजन 2030' के अंतर्गत कुछ ढील दी जा रही है। 2024 में इस नीति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं:
राजनयिकों को छूट: गैर-मुस्लिम दूतावासों के कर्मचारियों के लिए शराब के आयात की सीमित अनुमति दी गई है।
वैश्विक आयोजनों की तैयारी: 2030 का वर्ल्ड एक्सपो और 2034 का फीफा वर्ल्ड कप सऊदी अरब में आयोजित होना है। ऐसी चर्चा है कि इन बड़े कार्यक्रमों के दौरान नियंत्रित तरीके से बिक्री की अनुमति दी जा सकती है।
हालांकि, आम जनता के लिए नियम आज भी वैसे ही कठोर हैं। इतिहास गवाह है कि सऊदी अरब में यह पाबंदी किसी प्रवचन से नहीं, बल्कि जेद्दा की उस हिंसक शाम के कारण आई थी, जहां एक राजकुमार की भूल ने पूरे देश का कानून बदल दिया।
यह भी पढ़ें- डिग्री इंजीनियर की, काम झाड़ू लगाने का... इस देश में युवाओं को मिल रही ₹1.1 लाख सैलरी, चौंका देगी वजह