संपत्ति कर को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़ने का कैट का विरोध-00
- कैट पदाधिकारी बोले- प्रस्ताव का प्रदेशभर में विरोध करेंगे
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
राज्य सरकार ने संपत्ति कर को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़ने संबंधी अधिनियम में संशोधन को हरी झंडी दी है, जिसका कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) पदाधिकारियों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि कोरोना काल में पहले ही उद्योगपति, व्यापारी व आमजन संकट में है। ऐसे में सरकार का नया प्रस्ताव या संशोधन सबके लिए मुसीबत बढ़ाने वाला है। प्रदेश के सभी 52 जिलों में कैट पदाधिकारी विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध में कैट ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा नगरीय विकास एवं आवास प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को पत्र भी लिखे हैं।
कैट अध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति व्यापारी, उद्योगपति और नागरिकों के हित में नहीं हैं। कोरोना संकट के कारण हर वर्ग तकलीफ में है। इसे दरकिनार कर सरकार नए कर लगाकर व्यापारी, उद्योगपतियों और आमजन की कमर तोड़ना चाहती है। अभी आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। ऐसे में नये टैक्स से मुसीबत होगी, इसलिए सभी जिलाध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों से कहा है कि वे हर जिले में इसका विरोध करें। किसी भी स्थिति में सरकार विधेयक में संशोधन न कर पाए, इसलिए अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी पत्र लिखें। 8 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में इस विभागीय प्रस्ताव को सरकार की तरफ से हरी झंडी दी गई थी।
ग्वालियर में कचरा शुल्क बना परेशानी
प्रदेशाध्यक्ष जैन ने बताया कि वर्तमान में ग्वालियर में गार्वेज टैक्स (कचरा शुल्क) को लेकर हमारी तकलीफ है, जो मुख्यमंत्री व अन्य जनप्रतिनिधियों को बता चुके हैं। अब नया प्रविधान संपत्ति कर को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़ने का किया जा रहा है। यह किसी भी सूरत में लागू न किया जाए। इसे लेकर मुख्यमंत्री व विभागीय मंत्री को ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रेषित किए हैं। अगर सरकार ने मांग नहीं मानी तो प्रदेशभर में प्रदर्शन करेंगे।
संशोधन का इसलिए विरोध
प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में संपत्ति कर कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से लगेगा। वर्तमान में संपत्ति कर भूखंड या कुल निर्मित क्षेत्र के आधार पर लगता है। कैट अध्यक्ष जैन का कहना है कि नगरीय निकाय द्वारा सड़क, सफाई, बिजली आदि व्यवस्थाएं देने के बदले संपत्ति कर वसूला जाता है। इसके अलावा जलकर, शिक्षा उपकर के साथ अब कचरा शुल्क भी वसूला जाने लगा है। उद्योगपतियों को लीज लैंड समेत लगभग दोगुने कर उद्योग विभाग एवं नगरीय निकाय को चुकाने पड़ते हैं। अब गाइड लाइन के हिसाब से संपत्ति कर वसूलने की तैयारी है। वर्तमान में संपत्ति की कीमत से ज्यादा तो गाइड लाइन महंगी है। इस कारण रीयल एस्टेट कारोबार भी कमजोर हुआ है। यदि गाइड लाइन के हिसाब से संपत्ति कर वसूला जाता है तो जनता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। गाइड लाइन अव्यवस्थित होने के कारण ही कमल नाथ सरकार ने इसमें 20 प्रतिशत तक की कमी की थी।
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