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आफतःबाढ़ से चौरई तहसील के 10 गांवों के 742 परिवार
पाइंटर
-साहब.. अब हमारा मकान पहाड़ी पर ही बनवाना
प्रशासन और सामाजिक संगठनों के सहयोग से चल रही गृहस्थी
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पहाड़ी पर अस्थाई तौर पर रह रहे ग्रामीण
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गृहस्थी का सामान रखे रामवती बाई
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शिविर में भोजन कर रहे बंधीढाना गांव के रामदयाल
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अस्थाई तौर पर रहे ग्रामीण
छिंदवाड़ा। लगातार बारिश और बांध से छोड़ा गया पानी चौरई तहसील के दस गांवों के 742 परिवारों को जीवनभर का दर्द दे गया। बाढ़ के पानी से आंखों के सामने इनके आशियाने बह गए तो बाढ़ के उतरने पर तबाही का मंजर देख इनकी रूह कांप गई। बाढ़ में आशियाने के साथ-साथ गृहस्थी का सामान बह गया तो एक हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई।
जिले में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान किसी तहसील में हुआ है तो वो चौरई तहसील है। पेंच नदी में आई बाढ़ के कारण यहां के बांसखेड़ा, आमता, रमपुरी, बेलगांव, बंधीढाना समेत दस गांवों के 742 मकान पूरी तरह छतिग्रस्त हो गए। एक हजार मवेशियों की मौत हो गई। दो हजार मकानों में आंशिक छति हुई है। 29 अगस्त को आई बाढ़ को याद कर ग्रामीण रह रहकर याद करते हैं। बंधीढाना गांव के रामदयाल ने बताया कि उस दिन बाढ़ के पानी ने पूरा घर बर्बाद कर दिया, दो एकड़ में लगी मक्का की फसल बर्बाद हो गई।
इसी प्रकार रामवती बाई ने कहा कि कलेक्टर दौरा करने आए थे, हमने कहा अब नदी किनारे मकान नहीं बनाना। ग्रामीणों के डर का आलम ये है कि अब यह लोग पहाड़ पर ही रह रहे हैं, जहां अस्थाई शिविर बनाया गया है।
कलेक्टर सौरभ सुमन ने बताया कि तीन महीनों में नए मकान पीएम आवास के तहत ग्रामीणों के बन जाएंगे। फिलहाल उन्हें प्रशासनिक और सामाजिक सहयोग के जरिए बर्तन, बिस्तर समेत तमाम आवश्यकता की वस्तु मुहैया कराई जा रही है। बंधीढाना गांव में ही बाढ़ ने करीब 100 परिवारों का सब कुछ उजाड़ दिया। हालांकि हिम्मत कर बेघर हुए परिवारों ने पहाड़ी पर अपना आशियाना बनाना शुरू किया है।
डर के मारे ग्रामीणों ने ली पहाड़ी में शरण
पेंच नदी के निचले इलाके बंधीढाना गांव में अचानक बाढ़ आने से करीब 100 घर पूरी तरीके से बह गए, जिसमें मुश्किल से लोग अपनी जान बचाकर भागे थे। अचानक आई इस आफत से डरे हुए लोगों ने अब गांव के पास एक पहाड़ी में अपना आशियाना बनाना शुरू किया है।
चार पीढ़ियों में कभी नहीं आई ऐसी आफत
ग्रामीण रामसिंह का कहना है कई सालों से उनका परिवार यहां रह रहा है, लोग बताते हैं कि ऐसी बाढ़ उन्होंने चार पीढ़ियों से आज तक नहीं देखी, लेकिन जैसे ही बांध बना उनके लिए परेशानी लेकर आया और एक झटके में ही उनका सब कुछ खत्म कर दिया। हालात ये है कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है। लगातार हुई बारिश की वजह से पेंच नदी का जलस्तर बढ़ गया। जिस कारण माचागोरा में बने बांध में पानी बढ़ने के कारण आठों गेट खोलने पड़े, जैसे ही गेट खोले गए निचले इलाके के गांव बंधीढाना में पानी भरने लगा। पास के भी गांव प्रभावित हुए। घरों में सो रहे लोगों को जैसे ही पानी की आहट लगी, लोग अपनी जान बचाकर भागे, लेकिन अपनी जान बचाने के चक्कर में आजीविका का सामान ले जाना भूल गए। बता दें करीब 10 साल पहले पेंच नदी में माचागोरा बांध बनाया गया था, ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके, लेकिन इस बारिश में उनके सामने संकट खड़ा हो गया।
फैक्ट फाइल
मकान क्षतिग्रस्त - 742
आंशिक क्षतिग्रस्त -करीब 4 हजार पशुधन हानि - एक हजार मवेशी
प्रभावित गांव - बांसखेड़ा, आमता, रमपुरी, बेलगांव, बंधीढाना
पुल बहे - सांख, जमतरा पर बने पुल