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जिले के 105 उपार्जन केंद्रों में इस वर्ष 2 लाख 33 हजार 87 मीट्रिक टन की खरीदी जिले के 29 हजार 792 किसानों से की गई। शासन ने गेहूं की खरीदी कर उसके भंडारण की व्यवस्था बनाई जिसके तहत जिले के 30 वेयरहाउस व दो ओपन कैप में इस गेहूं का रखा गया। जिले के राशन दुकानों में अब इस गेहूं की सप्लाई करने की बारी थी लेकिन पीडीएस सप्लाई में लापरवाही देखने को मिली जिससे ओपन कैप में रखा हजारों मीट्रिक टन गेहूं खराब हो गया। नियमों की बात की जाए तो भंडारण के तीन माह के भीतर ओपन कैंप में रखे गेहूं का उठाव पहले किया जाना है। मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन ने कैंप से गेहूं का उठाव करने के बजाए पहले वेयरहाउस में सुरक्षति रखे गेहूं का उठाव किया। वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन ने वेयरहाउस संचालकों को पत्र जारी कर गोदाम में जमा अनाज का पीडीएस के लिए उठाव कराने के लिए कहा । जिसका विरोध भी वेयरहाउस संचालकों ने किया। ओपन कैप में हजारों क्विंटल गेहूं रखा रहा। जिसे तिरपाल से ढक दिया गया लेकिन वह ज्यादा दिन तक सुरक्षति नहीं रह पाया।
- कहीं गेहूं खराब करने की साजिश तो नहीं
पहले गेहूं को वेयरहाउस में भंडारण के लिए पहुंचा जाता है जब गेहूं बच जाता है तो वह ओपन कैंप में रखा जाता है। जिले में शहर से लगे इसरा उमरिया व चौरई के चंदनवाड़ा के ओपन कैप में तकरीबन 5 हजार मीट्रिक टन गेहूं रखा गया, लेकिन इन कैप से सबसे पहले सप्लाई नहीं किया जाना किसी ना किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है।
- इनका कहना है।
पहले कहां का अनाज उठाना है यह जिम्मेदारी खाद्य विभाग की नहीं होती है। मप्र वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कार्पोरेशन व नागरिक आपूर्ति विभाग तय करते है कि कहां से पहले अनाज का उठाव करना है।
डीके मिश्रा, सहायक आपूर्ति अधिकारी