भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू पहुंचे अमरवाड़ा
छिंदवाड़ा। जिले की अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षित विधानसभा के मुख्यालय में माह में 2 दिन पहुंचने के क्रम में बुधवार को भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू के अमरवाड़ा पहुंचने पर विधानसभा के मंडल अध्यक्ष, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत किया गया। नगर मंडल कार्यालय उत्कृष्ट विद्यालय के सामने अमरवाड़ा में विधानसभा अमरवाड़ा के सभी जन प्रतिनिधियों, पदाधिकारीयों, बूथ समिति अध्यक्षों एवं कार्यकर्ताओं से मिले और पार्टी संगठनात्मक विषयों पर चर्चा की एवं क्षेत्र कि समस्याओं की जानकारी ली। भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने का दायित्व भाजपा संगठन, पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का है आर इस संबंध में कोई कठिनाई आने पर भाजपा जिला संगठन उनके साथ है। कार्यकर्ताओं एवं उपस्थित आमजनों ने भाजपा जिलाध्यक्ष से चर्चा कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। जिस पर भाजपा जिलाध्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारी से चर्चा की तथा समस्या का निराकरण करवाया। कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू के साथ भाजपा नेता उत्तम ठाकुर, टीकाराम चंद्रवंशी, नितिन तिवारी, नवीन जैन, मंडल अध्यक्ष शैलेंद्र पटेल, विनोद चंद्रवंशी, राजेश डेहरिया, सुमित गुप्ता, संतोष यादव, पवन बंजारा, कुलदीप पटेल, संजय अग्रवाल, रोहित पोफली, जितेन्द्र राय, तरूण मल्होत्रा, शैलेन्द्र यादव, अंकित जैन, बसंत चौबे, विनोद साहू सहित कार्यकर्तागण उपस्थित थे।
ज्ञानी को बाह्य वैभव पसंद नहीं आता। पं.राजकुमार शास्त्री
सकल दिगंबर जैन समाज कर रहा दशलक्षण महापर्व की आराधना
छिंदवाड़ा। अनादि अनंत, अमूर्तिक, ज्ञानानंद स्वभावी आत्मा की रुचि लग जाने पर तत्व ज्ञानियों को जगत के पद, पैसा, परिवार, प्रतिष्ठा, पुरस्कार पसंद नहीं आते। उक्त उदगार पं. राजकुमार शास्त्री उदयपुर वालों ने दशलक्षण महापर्व पर चल रही व्याख्यान माला में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इंद्रिय सुख और अतींद्रिय सुख की जाति ही अलग है इसलिए जिसे आत्मिक सुख प्राप्त हो गया अथवा सुख प्राप्त करने की रुचि जागृत हो गई उसे विषय भोगों, परिग्रह और परिचय की रुचि घट जाती है। अधिक परिग्रह और अधिक परिचय मोक्षमार्गी के लिए रुचता नहीं है। तत्वज्ञान की ऐसी ही अद्भुत महिमा है। तत्व ज्ञान प्राप्ति के लिए हमें महापुरुषों के वाणी का लाभ लेना चाहिए, स्वाध्याय के प्रति समर्पित होना चाहिए। सत्साहित्य के माध्यम से हम मानों महापुरुषों के नजदीक बैठकर ही उनके दर्शन को समझ सकते हैं और सम्यक ज्ञान द्वारा अपनी विपरीत मान्यताओं का निराकरण कर सकते हैं। इसीलिए कहा गया है की ज्ञान सर्व समाधान कारक है।
लोभ पाप का बाप है
उत्तम शौच धर्म पर प्रवचन करते हुए पं. रजनीभाई दोशी हिम्मतनगर ने कहा कि शौच माने पवित्रता, लोभ कषाय के अभाव से उत्तम शौच धर्म प्रगट होता है। आत्मा स्वभाव से अती पवित्र एवं पावन है। रागादि कषाय अपवित्र है। जैसे भगवान का स्पर्श करने वाला व्यक्ति पवित्र हो जाता है। वैसे आत्मा को स्पर्श करने वाली पर्याय पवित्र हो जाती है। व्यक्ति अपने परिणामों से पवित्र होता है।
सात तत्वों का स्वरूप जानो
पंडित अंकुर शास्त्री भोपाल ने छहढाला ग्रंथ की कक्षा लेते हुए कहा कि आचार्यों ने सम्यग्दर्शन सम्यकज्ञान एवं सम्यक चारित्र का वर्णन दो अपेक्षाओं से किया है। जिनमें निश्चय सम्यग्दर्शन तो आत्म प्रतीति रूप है तथा व्यवहार सम्यग्दर्शन सात तत्त्वों की भेदात्मक चिंतन प्रक्रिया या निर्णय रूप है। जीव, अजीव, आश्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष इन सात तत्त्वों का अभेद श्रद्धान ही आत्म श्रद्धान या निश्चय सम्यग्दर्शन है। अपने अनादि कालीन मोह के अभाव के लिए इन सात तत्त्वों का स्वरूप भली प्रकार जानकर उनका ज्यों का त्यों श्रद्धान करना जरूरी है तभी मुक्तिमार्ग संभव हो सकता है। पर्वराज दशलक्षण पर सकल दिगम्बर जैन समाज आत्म साधना करते हुए धर्माराधना में सलग्न है। आज भादों सुदि नवमीं को पर्वराज का पंचम दिवस है।