आशीष यादव, विदिशा, Organic Farming । विदिशा जिले के देवपुर गांव की 42 वर्षीय महिला रामबेटी सेन मिसाल कायम कर रही हैं। घर चलाने के लिए उन्होंने 4 साल पहले अपने गांव में एक बीघा जमीन बटाई पर लेकर जैविक खेती कर पारंपरिक फसल लेना शुरू किया था। मेहनत कर हुनर को तराशा और अब दो साल से वे आसपास के गांवों की महिलाओं को केचुआ पद्घति से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण दे रही हैं। साथ ही उन्होंने एक नर्सरी खोलकर फल-फूल के पौधे और जैविक खाद का व्यवसाय भी खड़ा कर लिया है। अपने इस हुनर से उन्होंने न सिर्फ अपनी आय दस गुना बढ़ाई, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा।
रामबेटी सेन बताती हैं कि पहले वह आजीविका चलाने के लिए किराना दुकान भी चलाती थीं। इसमें तीन हजार रुपये मासिक आय होती थी। ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद उन्होंने जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया, जिसके बाद आसपास के गांव की करीब एक हजार अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित किया।
करीब तीन माह पहले स्वयं एक नर्सरी तैयार की जहां वे पौधे तो बेच ही रही हैं, उसके साथ खाद भी बेचकर महीने के 30 हजार रुपये तक कमा रही हैं। रामबेटी ने नर्सरी में करीब 2 हजार फल और औषधि के पौधे तैयार किए हैं। जिला पंचायत अतिरिक्त सीईओ दयाशंकर सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में समूहों से जुड़ी महिलाओं को खाद बनाने का प्रशिक्षण कृषि विभाग की मदद से दिया जा रहा है। कई महिलाएं जैविक खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
पति की मौत के बाद दो बच्चों को पाला
रामबेटी की राह आसान नहीं रही। 13 साल पहले एक वाहन दुर्घटना में उनके पति की मौत हो गई थी। उन्होंने अपने दम पर न केवल 2 बधाों का लालन पालन किया, बल्कि खुद का रोजगार स्थापित कर दूसरी महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध कराया। वे बताती हैं कि जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण लेने के बाद कई महिलाएं इस खाद का उपयोग कर सब्जियां उगाकर बेच रही हैं।