शहर में नहीं है कांजी हाउस, निकाय प्रशासन को नही चिंता
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एटीएम में बैठे बेसहारा मवेशी बना उपभोक्ता की परेशानी का सबब
दमुआ। शहर में बेसहारा मवेशी राहगीरों और बैंक उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। कहने को शहर स्वच्छता से लेकर विकास की इबारत लिखने वाले अनेक निर्माण कार्यों में व्यस्त है, लेकिन आज भी शहर की कुछ ऐसी जरूरते हैं जिनका समाधान होना जरूरी है। बेसहारा मवेशियों के लिए कांजी हाउस ऐसी ही जरूरतों में से एक है। निकाय के गठन से पहले शामिल तीनों ही पंचायतों में अपने अपने कांजी हाउस हुआ करते थे। दमुआ नगर पालिका के गठन के बाद निकाय प्रशासन उपतहसील भवन के पास स्थित जगह का उपयोग कांजी हाउस के रूप में करता रहा। इस बीच नपा का नया भवन निर्माण कार्य शुरू हुआ। बताते हैं कि कांजी हाउस का उपयोग उसी समय से गोदाम के रूप में हो रहा है। कांजी हाउस की व्यवस्था ही इसलिए बनाई गई थी कि इससे बेसहारा छोड़े गए पशुओं के पालकों को दंडित किया जाए और स्थानीय निकाय को राजस्व मिले। अब पूरे निकाय क्षेत्र में कहीं भी बेसहारा मवेशीओं के ठहराने के लिए व्यवस्था नहीं है। लिहा?ा बेसहारा मवेशीओं ने शहर की मुख्य सड़कों, तिराहों को अपना ठिकाना बना लिया है। इससे राहगीरों वाहन चालकों को बहुत परेशानी होती है। बेसहारा मवेशी सड़क के अलावा बैंक उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए बनाए गए एटीम बूथों को भी नही छोड़ रहे हैं। सड़क पर जमे बेसहारा मवेशी वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन दुर्घटनाओ को न्यौता देते हैं। वहीं एटीएम कॉर्नर्स में बैंक के उपभोक्ताओं की फजीहत बन रहे हैं। निकाय के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों में से शायद किसी को भी आम आदमी की इस छोटी जरूरत का भान नहीं है।
इनका कहना है
परिषद की बैठक में कांजी हाउस निर्माण संबंधी प्रस्ताव लिया गया है। निकाय कर्मचारियों को जिम्मेदारी देकर बेसहारा मवेशीओं से सड़क को मुक्त करने की व्यवस्था बनाई जा रही है।
डी.पी. खंडेलकर, मुख्य नपाधिकारी दमुआ