नईदुनिया प्रतिनिधि,अंबिकापुर: सरगुजा जिले में जापानी बुखार (जापानी एन्सेफलाइटिस) के संक्रमण का खतरा है। सुअरों में इस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमित सुअरों से मच्छरों के माध्यम से यह बीमारी इंसानों तक फैल सकती है। ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। आमजनों से भी सजग और सतर्क रहने कहा गया है।
लगभग एक माह पूर्व पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने सरगुजा जिले के लुंड्रा, बतौली और उदयपुर विकासखंडों में सुअरों का सर्वे कर सैंपल लिया गया था। 120 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 61 सैंपलों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जांच रिपोर्ट में सुअरों में जापानी बुखार के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पीएस मार्को ने बताया कि पशुपालन विभाग से जानकारी मिलते ही जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पताल को पत्र जारी कर दिया गया है। निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी मरीज में जापानी एन्सेफलाइटिस जैसे लक्षण दिखाई दें तो तत्काल उसका सैंपल जांच के लिए भेजा जाए।
सरगुजा जिले में किसी भी व्यक्ति में इस बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है। बावजूद इसके, स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है। ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लक्षणों की पहचान के लिए प्रशिक्षित करने के साथ ही मरीजों की निगरानी बढ़ाई जा रही है। शासन की ओर से फिलहाल अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्देश नहीं मिला है, लेकिन स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस सामान्यतः पक्षियों और सुअरों में पाया जाता है। यह संक्रमण संक्रमित सुअरों को काटने वाले मच्छरों के काटने से इंसानों तक पहुंचता है। संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह संक्रमित हो जाता है।
स्वास्थ्य विभाग ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी परिस्थिति में लापरवाही न बरतें। यदि किसी व्यक्ति को लगातार तेज बुखार, सिरदर्द या उल्टी जैसी समस्या दिखे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से मच्छरों से बचाव के उपाय करने, मच्छरदानी का उपयोग करने और साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दी गई है। इस बीमारी से तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक भ्रम और बेहोशी जैसे गंभीर लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। कई मामलों में यह बीमारी जानलेवा भी साबित होती है।
संक्रमित सुअरों को काटने वाले मच्छर यदि इंसानों को काटते हैं तो संक्रमण की संभावना रहती है।इस कारण निर्देश जारी किया गया है कि यदि लक्षण वाले मरीज आएं तो उनकी जांच कराएं और रिपोर्ट के आधार पर उपचार मुहैय्या कराई जाए।
-डॉ. पीएस मार्को, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सरगुजा
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सुअरों के सैंपल की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को एसओपी के साथ पत्र जारी कर दिया गया है। सुअरों को कोई खतरा नहीं रहता। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बचाव के लिए एसओपी अनुरूप सारी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
डॉ. आरपी शुक्ला, उप संचालक,पशु चिकित्सा सेवाएं सरगुजा