नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। सड़क हादसे में घायल विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा युवक की मौत पर मंगलवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में माहौल गरमाया रहा। समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने से मौत का आरोप लगाया गया। मृतक के स्वजन के साथ कांग्रेसजनों ने मृतक के शव को मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में रखकर जोरदार प्रदर्शन किया। पहाड़ी कोरबा जन राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है।
प्रदर्शनकारियों की मांग मृतक के स्वजन को मुआवजा, एंबुलेंस समय पर नहीं मिलने के कारणों की जांच और संबंधितों पर कार्रवाई की थी। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मांगों पर उचित पहल के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त किया गया।
पहाड़ी कोरवा युवक की मौत के बाद मेडिकल कालेज अस्पताल प्रबंधन विपक्ष के निशाने पर है। 24 घंटे तक वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस का इंतजार करने के बाद युवक की मौत पर पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह घटना सरगुजा मेडिकल कालेज अस्पताल की अव्यवस्था और सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही का दर्दनाक उदाहरण है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था का यह एक और दुखद पहलू सामने आया है। जब कोई मरीज गंभीर रूप से घायलावस्था में अस्पताल के भीतर आपके पास है और आप उसे वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा पा रहे, तो यह बेहद दुखद स्थिति है। अगर एंबुलेंस वीवीआइपी ड्यूटी में लगी थी, तो प्रबंधन को तत्काल निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लॉक के ग्राम ककना (मदेश्वरपुर) निवासी गुड्डू कोरवा (34) शनिवार को अपने साथी बजल साय के साथ ग्राम घटगांव गया था। लौटते समय ग्राम सिधमा के पास सड़क किनारे गिराए गए मुरूम के ढेर से बाइक टकरा गई। हादसे में दोनों सड़क पर गिर पड़े, जिसमें गुड्डू कोरवा के सिर पर गंभीर चोटें आईं थी।
उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां चिकित्सकों ने हालत गंभीर देखते हुए रविवार दोपहर तीन बजे रायपुर रेफर कर दिया था। घायल को बिना ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के रायपुर ले जाना संभव नहीं था। वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस से रायपुर ले जाने की सलाह दी गई थी।
घायल पहाड़ी कोरवा के स्वजन ने बताया कि उन्होंने संजीवनी 108 पर कॉल किया और चिकित्सकों व अधिकारियों से बार-बार संपर्क किया, लेकिन जवाब मिला कि एंबुलेंस राज्यपाल के दौरे के प्रोटोकॉल ड्यूटी में लगी है। अस्पताल प्रबंधन भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा सका। इस वजह से 24 घंटे बाद ही सोमवार शाम को एंबुलेंस मिल सकी।मृतक के भाई बजरू कोरवा ने बताया कि वे लगातार मंत्री, सांसद और विधायक से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कराई। प्रशासनिक लापरवाही के कारण उनके भाई की जान चली गई।
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गंभीर रूप से घायल गुड्डू कोरवा को सोमवार शाम रायपुर भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। रायपुर पहुंचने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरोप है कि स्वजन को शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया गया।दावा किया गया किराए पर निजी वाहन से शव को अंबिकापुर वापस लाया गया। रायपुर में शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था।
सड़क दुर्घटना में घायल गुड्डू कोरवा की मौत के बाद स्वजन मंगलवार सुबह शव लेकर रायपुर से अंबिकापुर पहुंच गए। मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक सहित कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में शव को जमीन पर रखकर करीब दो घंटे तक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक लापरवाही को युवक की मौत का कारण बताया और मुआवजे की मांग की। वे पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराने को लेकर अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन की लापरवाही के कारण पहाड़ी कोरवा युवक की मौत हुई है। यह गैरइरादतन हत्या का मामला है। सरकार को तत्काल मृतक के परिवार को मुआवजा देना चाहिए। रायपुर से शव लाने का खर्च भी कांग्रेसजनों ने उठाया। युवा कांग्रेस नेता बृजेश मिश्रा ने कहा कि स्वजन ने हर स्तर पर मदद की गुहार लगाई, लेकिन न जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया, न अधिकारी हरकत में आए। यह सीधे तौर पर संवेदनहीनता और लापरवाही का मामला है।
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एंबुलेंस में देरी के लिए जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई तथा मृतक के स्वजन को मुआवजा देने की मांग को लेकर जोरदार नारेबाजी की गई।प्रदर्शन की सूचना पर मौके पर पहुंचे अंबिकापुर एसडीएम फागेश सिन्हा ने बताया कि स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन पर समय एंबुलेंस नहीं देने की शिकायत की है। मामले की जांच कराई जाएगी और परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। प्रकरण बलरामपुर जिले से जुड़ा हुआ है। वहां के अधिकारियों से समन्वय बनाकर मुआवजा के लिए पहल होगी। समझाइश के बाद स्वजन माने और पोस्टमार्टम कराया गया।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर आरसी आर्या ने मरीज को विलंब से एंबुलेंस उपलब्ध कराने के आरोपों पर कहा कि मरीज के सिर पर गंभीर चोट थी। ऐसे प्रकरणों में घायलों को स्टेबल करने के बाद ही हायर सेंटर भेजा जाता है, यहां मरीज को विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था। अस्पताल में वेंटिलेटर एंबुलेंस है, जो प्रोटोकॉल ड्यूटी में थी। जैसे ही एंबुलेंस लौटी, मरीज को रायपुर भेज दिया गया था।