
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। एसीसीयू और सरकंडा पुलिस की टीम ने अशोक नगर स्थित किराए के मकान में चल रहे ऑनलाइन सट्टे के कारोबार का पर्दाफाश किया है। मामले में पुलिस एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपित के कब्जे से एक लाख 80 हजार रुपये नगद, बैंक पासबुक, 16 मोबाइल, लैपटॉप जब्त किया है।
आरोपित युवक को न्यायालय में पेश किया गया है। एएसपी उदयन बेहार और एसीसीयू के प्रभारी एएसपी अनुज कुमार ने बताया कि सरकंडा क्षेत्र के अशोक नगर स्थित किराए के मकान से ऑनलाइन सट्टा चलाने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस की टीम ने मौके पर दबिश देकर घुटकू के रहने वाले 32 साल के सुरेश प्रजापति को पकड़ लिया।
पूछताछ में आरोपित ने बताया कि उसने टेलीग्राम पर संपर्क कर सट्टा एप का मास्टर आईडी लिया था। इससे वह अलग-अलग जगहों पर किराए का मकान लेकर सट्टा चला रहा था। उसके पास से पुलिस को तीन एलईडी टीवी, 16 मोबाइल, दो लैपटॉप, दो सीपीयू, दो प्रिंटर, राउडर और 30 से अधिक मोबाइल सिम व सात बैंक पास बुक मिले हैं।
इसके साथ ही दो चेक बुक और अलग-अलग बैंकों के 14 एटीएम कार्ड पुलिस ने जब्त किया है। आरोपित के पास दो रजिस्टर मिले हैं। इसमें लाखों के लेनदेन का हिसाब है।

इधर, चैंपियंस ट्राफी के दौरान सटोरिए सक्रिय रहे, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। फायनल मुकाबले के बाद एसीसीयू की टीम ने मेमिंग एप पर सट्टा चलाने वाले को गिरफ्तार किया है। इसके बाद पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा चलने लगी।
सट्टे का कारोबार चैंपियंस ट्राफी के दौरान जोरों पर चला। अब सटोरिए आईपीएल का इंतजार कर रहे हैं। हर साल पुलिस दावा करती है कि सटोरियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन हाथ केवल छुटपुट सटोरिए लगते हैं। हर बार ये जरूर होती हैं कि पुलिस के कुछ जवानों पर आरोप लगते हैं और कुछ पर आरोप सही भी साबित होते हैं।
ऑनलाइन सट्टा के कारोबार से जुड़े युवक को पकड़ने वाली टीम में एएसपी उदयन बेहार, अनुज कुमार, सीएसपी सिद्धार्थ बघेल, सरकंडा टीआई निलेश पांडेय, एसीसीयू के निरीक्षक राजेश मिश्रा, एसआई अजहरुद्दीन, व्यास नारायण बनाफर, एएसआई शैलेंद्र सिंह, प्रधान आरक्षक संगीता नेताम, आरक्षक संजीव जांगड़े, राकेश यादव, प्रधान आरक्षक आतिश पारिक, आरक्षक अभिजीत डाहिरे और मुकेश वर्मा शामिल रहे।
एएसपी अनुज कुमार ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में ऑनलाइन सट्टा की आइडी ऑनलाइन संपर्क कर लिए जाने की बात सामने आई है। आरोपित ने बताया कि मास्टर आईडी से सट्टे में कमाए रुपयों का 65 प्रतिशत वह सट्टा एप के मास्टर माइंड को देता था।
35 प्रतिशत राशि को वह अपने पास रखता था। उसके बैंक खाते की जांच की जा रही है। इससे सट्टा एप चलाने वालों की जानकारी मिलने की बात कही जा रही है। इसके अलावा उसके मोबाइल की जांच चल रही है। इससे सट्टा एप चलाने वाले पूरे गिरोह के सामने आने की बात कही जा रही है।