
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। मुस्लिम युवती ने खुद को हिंदू बता हिंदू युवक से शादी कर ली। मामले का राजफाश होने और मानसिक क्रूरता के आधार पर पति ने फैमिली कोर्ट से तलाक की डिक्री ले ली। इसके खिलाफ पत्नी द्वारा हाई कोर्ट में की गई अपील खारिज कर दी गई। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए बार-बार धमकी देना पति के साथ क्रूरता है। जब इस तरह की घटनाएं लगातार हो तो कोई भी पति-पत्नी शांति से नहीं रह सकता। ऐसी स्थिति में पत्नी के व्यवहार को देखते हुए पति के लिए किसी भी मानसिक तनाव के साथ उसके साथ रहना मुमकिन नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने तलाक के खिलाफ पत्नी की अपील खारिज कर दी है।
धमतरी जिले के रहने वाले कारोबारी युवक की शादी 2018 में हिंदू रीति-रिवाज के साथ कुरुद क्षेत्र की युवती से हुई थी। युवक का आरोप है कि शादी तय हुई तब युवती और उसके परिवार वालों ने खुद को हिंदू बताया था, जबकि लड़की मुस्लिम परिवार से थी। शादी के बाद उनका बेटा हुआ, जो अब करीब तीन साल का हो गया है।
महिला के पिता ने कारोबारी युवक को मिलने बुलाया। फिर उन्हें अधारी नवगांव स्थित दरगाह ले गए। इस दौरान बताया कि दोनों पर भूत का साया है। उन्हें हर गुरुवार दरगाह आने कहा। साथ ही यह भरोसा दिलाया कि इससे उसका कारोबार भी अच्छा चलेगा। शादी के बाद से 7-8 महीने तक लगातार दरगाह जाने के बाद पति को पत्नी और ससुराल वालों के रवैए पर शक हुआ। उसे कारोबार में नुकसान हुआ। दरगाह जाने के बाद उसे पता चला कि पत्नी और उसके माता-पिता मुस्लिम हैं, जिन्होंने खुद को हिंदू बताकर उससे शादी की है।
सच्चाई सामने आने पर पति ने अपनी पत्नी को हर गुरुवार को दरगाह ले जाना बंद कर दिया। इसके साथ ही पत्नी को भी उसके मायके जाने से मना कर दिया। लेकिन, उसकी पत्नी हर गुरुवार को अपने माता-पिता के घर जाने की जिद करने लगी। इसके बाद पत्नी और उसके माता-पिता ने उसे मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाने लगे, जिस पर पति ने मुस्लिम धर्म अपनाने से मना कर दिया। जिसके बाद उसकी पत्नी का व्यवहार बहुत बदल गया और आए दिन झगड़ा करने लगी।
उसकी पत्नी अजीब तरह से व्यवहार करना शुरू कर दिया। पति के साथ गाली-गलौज करने लगी। इस बीच 25 सितंबर 2019 को उसकी पत्नी अपने पति से विवाद किया, जिसके बाद खुद पर केरोसिन डालकर माचिस जलाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन, उसके पति ने उसे किसी तरह बचा लिया। इसके बाद पत्नी अपने माता-पिता के घर चली गई। इधर, पति के व्यवहार से तंग आकर पति ने कुटुंब न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने तलाक के आवेदन को मंजूर कर लिया।
तलाक आदेश के खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट में अपील की, जिसमें बताया कि उसका पति अब उसके साथ नहीं रहना चाहता, इसलिए उसने गलत और बेबुनियाद आरोप लगाया है। वो ससुराल छोडक़र नहीं गई है। जबकि, उसे ससुराल से पति ने निकाल दिया था। उसे मायके ले जाकर छोड़ दिया और साथ रखने से मना कर दिया। दूसरी तरफ पति ने कहा कि उसका व्यवहार बदल गया था। जब उसने दरगाह जाने और धर्म बदलने से मना किया, तब पत्नी और ससुराल वाले मिलकर उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे।
पति ने कहा कि उसकी पत्नी उसे मानसिक रूप से परेशान करने लगी थी। साथ ही बार-बार सुसाइड करने की धमकी देती थी। इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि मानसिक क्रूरता एक मन की हालत और एहसास है, जो पति या पत्नी में से किसी एक के व्यवहार की वजह से होता है। फिजिकल क्रूरता के मामले से अलग मानसिक क्रूरता को सीधे तौर पर साबित करना मुश्किल है। मानसिक क्रूरता के मामले में, गलत बर्ताव के एक मामले को अकेले लेना और फिर यह सवाल उठाना कि क्या ऐसा बर्ताव अपने आप में मानसिक क्रूरता पैदा करने के लिए काफी है।
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धमकी देने से कोई भी पति-पत्नी शांति से नहीं रह सकते
हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह से व्यवहार करने और बार-बार सुसाइड करने की धमकी देने से कोई भी पति-पत्नी शांति से नहीं रह सकता। इस मामले में पति ने यह दिखाने के लिए काफी सबूत पेश किए हैं कि पत्नी बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देती थी और एक बार तो अपने ऊपर कैरोसिन डालकर आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी। क्रूरता का मतलब है पति-पत्नी के साथ इतनी क्रूरता से पेश आना जिससे उसके मन में यह डर पैदा हो कि दूसरे पक्ष के साथ रहना उसके लिए नुकसानदायक होगा। पत्नी के काम इतने गंभीर हैं कि पति को दर्द, और तकलीफ हुई है, जो शादी के कानून में क्रूरता मानी जाएगी। यह भी स्पष्ट है कि साल 2020 से पत्नी अपने पति से अलग रह रही है। इस आधार पर पत्नी द्वारा लगाई गई तलाक के खिलाफ अर्जी खारिज कर दी गई।