नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। कोतवाली क्षेत्र में रहने वाली युवती 12वीं कक्षा की छात्रा है। पढ़ाई के साथ वह निजी संस्थान में काम करती हैं। छात्रा शनिवार की दोपहर घर पर ही थीं। इसी दौरान उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से काल आया। फोन करने वाले ने उनकी बड़ी बहन के संबंध में पूछा। इस पर युवती ने बताया कि मोबाइल वह उपयोग करती है।
इसके बाद जालसाजों ने युवती को कहा कि वह इंटरनेट पर अश्लील वीडियो देखती हैं। इसकी शिकायत महिला थाने में मिली है। इसी तरह के मामले में महिला थाने में कई लोगों को पकड़ा गया है। अब महिला थाने की पुलिस उसकी तलाश कर रही है। जालसाजों ने युवती के मोबाइल पर कई फोटो भी भेजे। इससे युवती डर गई।
उसके डर का फायदा उठाते हुए जालसाजों ने नौ हजार 500 रुपये मांगे। रुपये मांगते ही युवती का माथा ठनका। उसने ऑनलाइन रुपये देने के बजाए जालसाजों को सिविल लाइन थाने के पास आकर रुपये ले जाने की बात कही। इधर, युवती भागते हुए अपने परिचित के पास पहुंची। परिचित को पूरी घटना बताकर उसने मदद मांगी।
इस पर परिचित उसे लेकर साइबर सेल पहुंचे। साइबर सेल में युवती की शिकायत साइबर पोर्टल में दर्ज कराई गई। साइबर ठग रोज-रोज नए तरीके अपनाकर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इधर, कई लोग जागरूकता की वजह से रकम गंवाने से बच जा रहे हैं। मगर, जागरूकता की वजह से युवती ठगे जाने से बच गई।
युवती ने बताया कि जालसाजों ने इंटरनेट पर अश्लील वीडियो देखने का आरोप लगाया था। वह कभी भी इंटरनेट पर इधर-उधर के वीडियो ना तो सर्च करती है, ना ही वह इंटरनेट का उपयोग करती है। यह बात उसने जालसाजों को बताई।
तब जालसाजों ने कहा कि केस को रफादफा करने के लिए नौ हजार 500 रुपये लगेंगे। इसमें दो हजार रुपये फाइल चार्ज लगेगा। शेष रकम जांच पूरी होने के बाद वापस करने का भरोसा दिलाया था।
युवती ने बताया कि उसे अश्लील वीडियो देखने का आरोप लगाकर डराया गया। उसके वाट्सएप पर कुछ फोटो भी भेजे गए। युवती ने जब वाट्सएप पर डीपी चेक किया, तो उसमें पुलिस की वर्दी के साथ फोटो लगा था। इसे देखकर वह ज्यादा डर गई। रुपये मांगे गए तो ठगी का एहसास हो गया।
जब पीड़ित डरकर या घबराकर ठग की मांगों को पूरा करता है, तो ठग उसे डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं और अधिक पैसे या जानकारी की मांग करते हैं। ठग कॉल करके खुद को पुलिस अधिकारी या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का सदस्य बताते हैं और पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि उसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप
है। इस बीच पीड़ित को अपनी बातों में उलझाए रखते हुए डराते हैं। वे पीड़ित को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं और इसे रोकने के लिए तुरंत पैसे या अन्य व्यक्तिगत जानकारी देने की मांग करते हैं।
साइबर ठग नए-नए तरीके अपना रहे हैं। हाल के समय में देखने को मिला है कि किसी मामले में फंसने की जानकारी देकर रुपये मांगे जाते हैं। इस प्रक्रिया का कोई कानूनी वजूद नहीं है। इसमें ठग खुद को पुलिस या कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताते हैं, फिर लोगों से आडियो या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं।
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वे किसी अपराध में शामिल होने या कुछ गलत करने का आरोप लगाकर पीड़ित को डराते हैं। पीड़ित से कहते हैं कि अगर वह गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत कुछ पैसे या जानकारी देनी होगी। कई लोग उनके झांसे में आकर रुपये गंवा बैठते हैं।
आईपीएस अक्षय प्रमोद सबद्रा ने बताया कि किसी भी अनजान नंबर से कॉल आने पर बिलकुल भी डरने की जरूरत नहीं है। पुलिस कभी अपनी पहचान बताने के लिए कॉल नहीं करती और न ही गिरफ्तारी का ऑनलाइन वारंट भेजती है।
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पुलिस किसी भी मामले में पैसे की मांग या बैंक डीटेल्स की मांग नहीं करती। पुलिस की ओर से कोई ऐप डाउनलोड कर वाइस कॉल या वीडियो कॉल पर बात नहीं करती। ऐसी जालसाजी से बचने के लिए अपनी निजी जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए, न ही किसी अनजान के मांगने पर ऑनलाइन रुपये देने चाहिए।