नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: बस्तर में लंबे समय से चल रही मतांतरण की प्रवृत्ति अब मंद पड़ने लगी है। इसी का परिणाम है कि जगदलपुर विकासखंड के चितापदर में 45 वर्षीय एक महिला सुबाय बघेल और उनके बेटे वीरेंद्र बघेल (20 वर्ष) ने लगभग 18 वर्ष बाद पुनः अपने मूल धर्म में वापसी की है।
कचरा पाठी परगना संगठन की प्रेरणा से मां-बेटे ने ईसाई धर्म का त्याग कर घर वापसी की। वीरेंद्र के पिता की कुछ महीने पहले मौत हो चुकी है। मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बाद समाजजनों ने दोनों को पुनः अपने समुदाय में स्वीकार किया।
कचरा पाठी परगना के अध्यक्ष धनुर्जय बघेल ने कहा, "यह केवल एक परिवार की घर वापसी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की पुनर्स्थापना का प्रतीक है।" जब पश्चिमी प्रभाव और मतांतरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब समाज का अपनी जड़ों की ओर लौटना उत्साहजनक है।
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संरक्षक प्रेम चालकी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सत्य, अहिंसा और सनातन धर्म के सिद्धांतों पर जीवन जिया है। जो लोग आज अपने धर्म में लौट रहे हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे। जिला उपाध्यक्ष आकाश कश्यप ने कहा कि मतांतरण से हमारी परंपराएं खतरे में हैं, इसलिए समाज को एकजुट होकर अपनी संस्कृति और देवी-देवताओं की रक्षा करनी होगी।