कवर्धा। क्या आपको पता है मृत्यु के बाद भी आपकी आंखें इस दुनियां को देख सकती है। बशर्तें आपको एक छोटा सा काम करना होगा। मृत्यु से पहले आपको अपनी दोनों आंखों को दान करने की विविवत घोषणा करनी होगी। स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार जिले में 25 अगस्त से आठ सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवधि में मृत्यु के बाद अपनी दोनों आंखें घोषणा कर विधिवत फार्म भर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इस पखवाड़े के बाद आप अपनी आखें दान नहीं कर सकती, इस पखवाड़े के बाद भी जिला चिकित्सालय एवं अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर विधिवत फार्म भर कर मृत्यु के बाद आंखें दान करनी की घोषणा के साथ सहमति दे सकते हैं।
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संचालित नेत्रदान पखवाड़ा में नेत्रदान करने के लिए विशेष आग्रह किया हैं। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. एमके सूर्यवंशी ने बताया कि नेत्रदान के लेकर आज भी कही भ्रांति फैली हुई है, लेकिन वह सिर्फ भ्रांति है। हमें ऐसी भ्रांतियों से सजग होकर नेत्रहीनों की मदद के लिए आगे आने होंगे।
जिला चिकित्सालय में पदस्थ नेत्र विशेषज्ञ डा. छाया चोपड़ा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति के छह घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए उनके परिवार की सहमति जरूरी है। उन्होंने बताया कि नेत्रदाता के आंखों को मृत्यु के बाद खुला न रहने दे, बंद पलकों पर गिली रूई य बर्फ की टुकड़ा रख कर आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है। सहायक नेत्र चिकित्सक ने बताया कि कबीरधाम जिले में मृत्यु की अनुपात में आंखें दान करने वालों की संख्या नहीं के बराबर है। वर्ष 2018 में ग्राम कुसमुमघटा के वर्मा परिवार ने परिवार की बुजुर्ग माता की मृत्यु के बाद दोनों आखें दान की है। उन्होंने बताया कि नेत्रदान तुरंतदान महाकल्याण, नेत्रदान सर्वश्रेष्ठ दान कहा जाता है।
निकट दृष्टिदोष, दूरदर्शिता और दृष्टिवैषम्य जैसी दृष्टि समस्याओं वाले लोग अपनी आंखें दान कर सकते हैं। दाता का आयु कारक आमतौर पर अप्रासंगिक होता है। जैसा कि कोई भी मृतक अपनी आंखें दान कर सकता है। उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह जैसी कुछ बीमारियों वाले लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं। किसी भी लिंग का व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।
क्या कोई व्यक्ति जिसकी आंखों की सर्जरी हुई है, वह आंखें दान कर सकता है
चिकित्सक डा. चोपड़ा ने बताया कि हां, आंखों के कई हिस्से होते हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है, भले ही उनमें से एक क्षतिग्रस्त हो। आमतौर पर यह कार्निया है जो आंखों की समस्याओं को ठीक करने के लिए आपरेशन किया जाता है। कोई नियम नहीं कहता है कि आंखों का कार्निया दान नहीं किया जा सकता है, चाहे वह मोतियाबिंद सर्जरी हो या लैसिक सर्जरी। आंखों का उपयोग अभी भी कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए किया जा सकता है। पहले से संचालित कार्निया के स्वस्थ हिस्से को अभी भी दान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक व्यक्ति जिसे एड्स, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस बी या किसी संचारी रोग जैसी बीमारियां हैं, वह अपनी आंखें दान नहीं कर सकता है। डूबने से मरने वाला व्यक्ति भी आंखें दान करने के योग्य नहीं होता।