नईदुनिया न्यूज, कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बड़ी सफलता मिली है। मंगलवार को एक माओवादी दंपती सहित चार इनामी माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन माओवादियों पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कुल 22 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
पुलिस के अनुसार, सुरक्षा बलों की निरंतर कार्रवाई, माओवादियों के बीच बढ़ते आंतरिक मतभेद, वरिष्ठ नेताओं का आत्मसमर्पण और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की इच्छा ने इन माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा, सरकार की विकासोन्मुखी योजनाएं, जैसे सड़क, परिवहन, बिजली, पानी, मोबाइल नेटवर्क और जनकल्याणकारी योजनाओं का विस्तार, साथ ही सामुदायिक पुलिसिंग और आत्मसमर्पण नीति के व्यापक प्रचार-प्रसार ने भी इनके निर्णय को प्रभावित किया। आत्मसमर्पण करने वालों में लक्ष्मण कोर्राम (उर्फ जुन्नू, 8 लाख का इनाम), उनकी पत्नी मड्डो (उर्फ जरीना, 5 लाख का इनाम), पांडूराम (1 लाख का इनाम) और सखाराम (8 लाख का इनाम) शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी कोंडागांव, कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा और मानपुर-मोहला क्षेत्रों में कई गंभीर अपराधों में शामिल रहे हैं। इनमें सुरक्षा बलों पर हमले, आम नागरिकों की हत्या, लूटपाट, शासकीय संपत्ति को नुकसान, सड़क अवरुद्ध करना, अपहरण और आगजनी जैसी घटनाएं शामिल हैं। लक्ष्मण कोर्राम और मड्डो कोतरी एरिया कमेटी से जुड़े थे, जबकि पांडूराम जनताना सरकार का अध्यक्ष और सखाराम माओवादी संगठन की कंपनी नंबर 5 का सदस्य व माओवादी डॉक्टर था।
छत्तीसगढ़ सरकार की माओवादी उन्मूलन नीति के तहत सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। साथ ही, पुनर्वास नीति के तहत अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा गया है। आत्मसमर्पण समारोह में पुलिस अधीक्षक वाय अक्षय कुमार, कमांडेंट 188वीं बटालियन सीआरपीएफ भावेश चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूपेश कुमार डांडे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी. और पुलिस अधीक्षक कोंडागांव के मार्गदर्शन में माओवादी विरोधी अभियान निरंतर चलाए जा रहे हैं। माओवादी प्रभावित गांवों में सिविक एक्शन कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों को सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति की जानकारी दी जा रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
यह आत्मसमर्पण माओवादी के खिलाफ चल रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो क्षेत्र में शांति और विकास की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद जगाता है।