नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। महिला और जुड़वा बच्चों की प्रसूति के दौरान मौत हो गई। प्रसव घर में ही कराया जा रहा था। हालत बिगड़ने पर एंबुलेंस में मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। यहां इलाज शुरू किया जाता, इससे पहले तीनों की जान चली गई। मृतका के पति ने एंबुलेंस में आक्सीजन की व्यवस्था नहीं होने से पत्नी व दोनों बच्चों की मौत होने का आरोप लगाया है।
करतला विकासखंड के जोगीपाली में रहने वाले बिहारीलाल राठिया की पत्नी कांति राठिया को सोमवार की सुबह प्रसव पीड़ा हुई। घर में ही उसका प्रसव गांव के ही महिलाएं करा रहीं थीं। प्रसव तो हो गया पर प्लेसेंटा बाहर नहीं आया। इसके बाद स्वजन प्रसूता और जन्म लेने वाले जुड़वा बच्चों को लेकर करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां करीब डेढ़ घंटे तक प्राथमिक उपचार किया गया।
प्रसूता और बच्चों की तबियत बिगड़ने पर तीनों को सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया। रास्ते में प्रसूता की सांस फूलने लगी। पति बिहारी राठिया का आरोप है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं था, इसलिए उनकी हालत अधिक खराब हो गई। मेडिकल कॉलेज पहुंचने के बाद इलाज शुरू होने से पहले ही तीनों ने दम तोड़ दिया।
राठिया का कहना है कि यदि एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था रहती तो पत्नी और बच्चों की जान बच सकती थी। पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डेढ़ घंटे तक प्लेसेंटा बाहर निकालने का प्रयास किया गया। वहां भी संसाधन नहीं होने की वजह से 38 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज तक प्रसूता व बच्चों को लाना पड़ा जिसकी वजह से उनकी जान नहीं बच सकी।
कांति राठिया आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थी। कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग ने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की जवाबदारी सौंपी है। ऐसे में कांति का प्रसव घर में कराया जाना सवालाें के घेरे में है। स्वास्थ्य विभाग के संस्थागत प्रसव में वृद्धि के दावे की पोल इस घटना से खुल गई है।
इस विषय में सीएमएचओ डा. एसएन केसरी ने बताया कि बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ था। बच्चे जुड़वा थे, इसलिए उनकी स्थिति जटिल थी। प्रसूता का प्लेसेंटा भी बाहर नहीं आया था। सामुदायिक केंद्र में ऑपरेशन करने की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए मां और बच्चों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर किया गया। बच्चों को ऑक्सीजन के साथ एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। समय से पहले बच्चाें का जन्म व अधिक रक्त स्त्राव की वजह से प्रसूता की मौत हुई है।
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमएचओ डा. एसएन केसरी ने बताया कि प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान महिला के गर्भ में एक अस्थायी अंग बनता है। यह गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है और गर्भनाल के माध्यम से बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन देता है।
गर्भ में मौजूद बच्चा गर्भनाल द्वारा प्लेसेंटा से जुड़ा होता है। प्लेसेंटा और गर्भनाल मिलकर गर्भाशय में बच्चे की जीवन रेखा के रूप में कार्य करते हैं। प्लेसेंटा की कुछ स्थितियां गर्भावस्था की जटिलताओं का कारण बन सकती हैं। बच्चे के जन्म लेने के तुरंत बाद प्लेसेंटा बाहर आ जाता है।