
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा: आईपीएस रतनलाल डांगी पर शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाने वाली महिला की छोटी बहन ने मीडियाकर्मियों के सामने कई चौंकाने वाले तथ्य रखे। उसने अपनी बड़ी बहन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
उसने बताया कि उसकी बड़ी बहन ने तो अपने पिता को भी नहीं छोड़ा और उन पर दुष्कर्म की कोशिश का मामला दर्ज करा दिया था। इसके अलावा 17 साल पहले उसने हम पर भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी-एसटी एट्रोसिटी) के तहत केस दर्ज कराया था।
छोटी बहन ने बताया कि रतनलाल डांगी पर झूठा आरोप लगाने वाली उसकी बड़ी बहन का व्यवहार बचपन से ही उग्र रहा है। जब वह कक्षा दसवीं में पढ़ती थी, तब उसके पिता वन विभाग में वनरक्षक थे। अपरिचित लड़कों के साथ बातचीत करने के कारण पिता बहन से नाराज रहते थे।
जब उसने मना करने के बावजूद ऐसा करना जारी रखा, तो एक दिन उसके पिता ने उसे थप्पड़ मारा। इसके बाद उसने अपने कपड़े फाड़कर हंगामा किया और थाने जाकर अपने पिता के विरुद्ध दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगा दिया। बाद में बड़े अधिकारियों के हस्तक्षेप से मामला सुलझा लिया गया।
छोटी बहन ने बताया कि इस घटना के बाद उसके पिता ने उसे हास्टल में भर्ती कराया, लेकिन वह वहां से एक लड़के के साथ मुंबई चली गई। उसे किसी तरह से वापस लाया गया। उस समय सरकारी बालिका आश्रम में रखने की सलाह दी गई, लेकिन पिता ने बेटी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसे स्वीकार नहीं किया। वर्ष 2005 में उसने खुद से लव मैरिज कर ली। उसके पति की नौकरी पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर हो गई। विभागीय परीक्षा देकर वे उप निरीक्षक (एसआइ) बन गए।
छोटी बहन ने बताया कि वर्ष 2009 में पैसे के लेनदेन को लेकर बड़ी बहन ने उससे और उसके पति के साथ भी विवाद किया। चाकू से हमला कर खुद को जख्मी कर लिया और हम दोनों पति-पत्नी पर हमला करने और जातिगत गाली-गलौज करने का आरोप लगा दिया। पिछले 17 साल से हम कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।
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छोटी बहन का कहना है कि उसकी बड़ी बहन झूठी शिकायतें करने की आदी है और उसने महिला अधिकारों का दुरुपयोग किया है। पति के पुलिस अफसर (एसआइ) बनने के बाद वह और भी उग्र हो गई। आइजी डांगी का नाम लेकर वह अक्सर उन्हें धमकाती थी, जिसके कारण उन्हें अपने पुराने क्षेत्र को छोड़कर अन्य स्थान पर रहना पड़ा।
इधर आईपीएस रतनलाल डांगी ने इस पूरे विवाद को एक बड़ी साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि उनकी साफ-सुथरी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है, खासकर उच्च पदों पर संभावित नियुक्तियों के समय ऐसा हो रहा है।