राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: सीजीपीएससी भर्ती परीक्षा 2021 के घोटाले की सीबीआई जांच में लगातार नए राजफाश हो रहे है। सीबीआई जांच में यह तथ्य सामने आया है कि केवल सीजीपीएससी 2021 ही नहीं, बल्कि वर्ष 2020 से 2022 तक आयोजित कई परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक कराए गए। इस पूरे मामले में पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक और उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर की भूमिका प्रमाणित हुई है।
सीबीआई इस दिशा में भी जांच तेज कर दी है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में मात्र पांच वर्षों में सबसे ज्यादा 78 भर्ती परीक्षाएं आयोजित कीं। टामन-आरती की जोड़ी ने कोरोना काल जैसी कठिन परिस्थितियों में भी परीक्षाएं कराईं। यानी औसतन हर महीने एक से ज्यादा परीक्षा आयोजित हुई। हालांकि युवाओं को अधिक अवसर मिलने के बावजूद, गड़बड़ियों और प्रश्नपत्र लीक प्रकरण ने इन परीक्षाओं की साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। छापे में वर्ष-2021 की मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र और उत्तर भी बरामद हुए।
वहीं, तुलना की जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दो कार्यकाल (2008 से 2018) में आयोग ने केवल 90 परीक्षाएं आयोजित कीं। यानी औसतन हर कार्यकाल में 45 परीक्षाएं ही हुईं। इसके उलट भूपेश सरकार के समय में दोगुनी गति से परीक्षाएं हुईं, लेकिन अनियमितताओं ने इसे घोटाले में बदल दिया। इस तेजी से हुई भर्ती परीक्षाओं का रिकार्ड अब कांग्रेस शासनकाल में हुई गड़बड़ियों का संकेत दे रहा है।
सीजीपीएससी घोटाले में लगभग तत्कालीन सभी अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो चुकी है। पूर्व उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर से लेकर पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव और उच्च पद पर बैठे पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी ने मिलकर गड़बड़ी की। ये सभी अब सलाखों के पीछे हैं। आरोप है कि घोटाले के समय जीवन किशोर ध्रुव ने अपने बेटे सुमित ध्रुव का चयन डिप्टी कलेक्टर पद पर कराया।
आरती वासनिक ने प्रश्न पत्र लीक कराने में अध्यक्ष का सहयोग किया। तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी की कथित बहू निशा कोसले (डिप्टी कलेक्टर) और उनके भाई की बहू दीपा आदिल का जिला आबकारी अधिकारी में चयन हुआ है। सीबीआई ने अब तक 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
चर्चा है कि उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर का चयनित अन्य अभ्यर्थियों के स्वजनों से भी संपर्क रहा है। इस दिशा में भी जांच जारी है। इन सभी आरोपितों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज है। आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी से जुड़े कई पुख्ता सबूत जुटाए हैं। 15 जुलाई 2024 को पीएससी के तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव के भिलाई स्थित निवास पर छापेमारी के दौरान वर्ष 2021 की मुख्य परीक्षा के पेपर-7 और पेपर-2 के अभ्यास उत्तर बरामद किए गए।
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जांच में यह भी सामने आया कि ध्रुव के पुत्र सुमित को वही प्रश्नपत्र पूर्व में उपलब्ध कराए गए थे, जिसके आधार पर उसका चयन हुआ। मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक की प्रत्यक्ष भूमिका स्पष्ट रूप से उजागर हुई है। वर्तमान में सीबीआई दीपा और निशा को रिमांड पर लेकर यह पड़ताल कर रही है कि टामन सिंह सोनवानी ने उन्हें पीएससी-2020 की परीक्षा के प्रश्नपत्र आखिर कब और किस माध्यम से मुहैया कराए।
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सीजीपीएससी 2021 के अलावा पिछली सरकार में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2019 में भी गड़बड़ी की शिकायत हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक नौ जुलाई को दर्ज एफआइआर के अनुसार 2019 में 1384 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं।
जांच में सामने आया कि परीक्षा में अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों का भी चयन कर लिया गया। इतना ही नहीं, एक ही परीक्षा केंद्र पर बैठे 50 अभ्यर्थियों में से 36 का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कर दिया गया। फिलहाल सीबीआई सीजीपीएससी 2021 की भर्ती परीक्षा में उलझी है।