
संदीप तिवारी, रायपुर। डिजिटल युग में बच्चे पढ़ाई-लिखाई में तो कमजोर हैं, लेकिन मोबाइल, स्मार्टफोन चलाने में माहिर हैं। एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर रिपोर्ट) 2024 के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 14 से 16 वर्ष के 82.5 विद्यार्थी स्मार्ट फोन यानी मोबाइल का इस्तेमाल करना जानते हैं।
93.3 प्रतिशत घरों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। 89.8 प्रतिशत बच्चों को मोबाइल में वीडियो साझा करना, यूट्यूब और वाट्सएप चलाना भी आता है। वहीं, पढ़ाई-लिखाई पर गौर करें, तो असर की रिपोर्ट चौंकाने वाले तथ्य उजागर करती है।
इसके मुताबिक, राज्य के निजी और सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन के 25 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा दो की किताब को पढ़ पाते हैं। इसी तरह कक्षा पांचवीं के 54.3 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा दूसरी का पाठ पढ़ पाते हैं। आठवीं के 76 प्रतिशत बच्चे कक्षा दूसरी के पाठ पढ़ पाते हैं।
यानी इस उम्र के 24 प्रतिशत बच्चे जो कि स्मार्ट फोन तो चला लेते हैं। मगर, कक्षा दूसरी की किताब पढ़ने में असक्षम हैं। असर की रिपोर्ट के अनुसार, ये सर्वे प्रदेश के 834 गावों में किया गया है। इनमें 16,500 परिवारों से जानकारी जुटाई गई है। इनमें तीन से 16 वर्ष के 31,099 बच्चों के रिस्पांस के आधार पर आकलन किया गया है।
गणित में 23.3 प्रतिशत कक्षा तीसरी के बच्चे कक्षा दूसरी के स्तर का जोड़-घटाना, गुणा-भाग कर पाते हैं। कक्षा पांचवीं के 25.7 प्रतिशत बच्चों को भाग करना आता है। इसी तरह कक्षा आठवीं में 36.4 प्रतिशत बच्चों को गुणा-भाग करना आता है।
बच्चों के शिक्षा स्तर का मूल्यांकन घर-घर जाकर किया जाता है। तीन से 16 वर्ष की आयु के बच्चों को इसमें शामिल किया जाता है। देशभर में यह मूल्यांकन 19 भाषाओं में किया जाता है। इसके साथ ही, बच्चों के स्कूल (सरकारी या निजी) में नामांकन की जानकारी भी दर्ज की जाती है।

बच्चों को मोबाइल कम से कम देना चाहिए। बच्चों का मोबाइल की लत होने के चलते पढ़ाई करने में मन नहीं लगता है। मोबाइल में जो वीडियो आते हैं, इससे वे आकर्षित होते हैं। ज्यादा देर तक मोबाइल देखने से दृष्टिदोष बढ़ने का खतरा रहता है। बच्चे स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतें हो रही हैं। - डॉ. दिनेश मिश्रा नेत्र विशेषज्ञ, रायपुर
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एकाग्रता कम होने में बच्चे पढ़ाई-लिखाई में कमजोर हो रहे हैं। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं। कई हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। - डॉ. वर्षा वरवंडकर कैरियर विशेषज्ञ