
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: जमीन के सौदों में वर्षों से चल रहा कच्चे-पक्के का खेल अब पूरी तरह बंद हो गया है। प्रदेश सरकार की ओर से गुरुवार से लागू की गई नई गाइडलाइन दरों ने न सिर्फ जमीन की सरकारी कीमतों को बाजार भाव के करीब ला दिया है, बल्कि उन लोगों की नींद भी उड़ा दी है जो अब तक रजिस्ट्री में कम और बाहर भारी रकम देकर काला धन खपाने का काम कर रहे थे।
जानकारों का कहना है कि नई गाइडलाइन दरें कई क्षेत्रों में बाजार दर से भी अधिक हो गई हैं। ऐसे में अब कोई भी व्यक्ति जमीन खरीदते समय एक नंबर से बाहर अतिरिक्त पैसा नहीं दे पाएगा। रजिस्ट्री का पूरा भुगतान बैंकिंग माध्यम से ही करना होगा।
रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोगों का साफ कहना है कि अब तक खरीदार सरकारी रेट पर भुगतान तो चेक, ऑनलाइन करते थे, लेकिन शेष रकम नकद देकर कालाधन खपाते थे। प्रदेश में पूर्व सरकार द्वारा 30 प्रतिशत रेट कम करने के बाद यह खेल तेजी से बढ़ा था, लेकिन अब नई गाइडलाइन से यह रास्ता पूरी तरह बंद हो चुका है।
नई दरों से खरीदारों पर सीधा असर पड़ा है। शहरी क्षेत्रों में रजिस्ट्री 20-40 प्रतिशत तक वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में 50-400 प्रतिशत तक का उछाल है। रायपुर के आसपास के गांवों में जहां पहले एक हेक्टेयर जमीन पर 25–30 लाख का स्टाम्प लगता था, अब यह बढ़कर 1 से 1.5 करोड़ तक पहुंच गया है। स्टाम्प शुल्क के अलावा पंजीयन शुल्क अलग से देना होगा।
जमीन कारोबारियों का कहना है कि सात नवंबर को रजिस्ट्री से संबंधित नियमों में संशोधन किया गया था, उसमें भी कई विसंगतियां थीं। अब अचानक गाइडलाइन बदलने से आम खरीदार और पक्षकारों को बड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
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नई गाइडलाइन गुरुवार से लागू तो कर दी गई, लेकिन पंजीयन विभाग का साफ्टवेयर अपडेट न होने से पूरे दिन रजिस्ट्री ठप रही। दस्तावेजों का केवल प्रस्तुतीकरण किया गया, जबकि असली पंजीयन पुनरीक्षित स्टाम्प और शुल्क जमा होने के बाद ही होगा। पक्षकार सुबह से शाम तक भटकते रहे और रजिस्ट्री कार्यालयों में अव्यवस्था का माहौल बना रहा।