राज्य ब्यूरो,नईदुनिया, रायपुर: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए 3,200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने कई तथ्य उजागर किए हैं। ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल को शराब सिंडिकेट से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक कैश हैडलिंग (नकदी प्रबंधन) के लिए मिले हैं।
कोर्ट में पेश रिमांड रिपोर्ट के मुताबिक चैतन्य की गिरफ्तारी उनके पिता के करीबी दुर्ग के कारोबारी लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल के उस बयान के आधार पर की गई, जिसमें उसने स्वीकार किया कि शराब सिंडिकेट से चैतन्य को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं। उक्त रकम की गिनती अनवर ढेबर के फाफाडीह स्थित होटल में होती थी, इसके बाद अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित के जरिए पैसा चैतन्य के पास भेजा जाता था।
चार्जशीट के अनुसार, चैतन्य के निर्देश पर ही इस राशि का एक हिस्सा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया। रामगोपाल पिछले दो साल से लापता हैं। ईडी के साथ राज्य की एसीबी उन्हें तलाश रही है।
ईडी का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से हुई आय को विभिन्न माध्यमों से निवेश किया और उस आपराधिक धन को निष्कलंक संपत्ति बनाने की कोशिश (लेयरिंग) की। उस पर मनी लॉड्रिंग के साथ-साथ मनी लेयरिंग के भी आरोप हैं।
ईडी के अनुसार चैतन्य बघेल की कंपनी मेसर्स बघेल डेवलपर्स, जो बिलासपुर में विट्ठल ग्रीन परियोजना निर्माण कार्य करा रही है, उसमें करोड़ों रुपये निवेश किया गया। इस परियोजना के सलाहकार के हवाले से ईडी का यह आरोप है कि परियोजना की कुल लागत को कम दिखाया गया।
अनवर ढेबर के करीबी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने कर्मचारियों के लिए उसी कंपनी से 19 फ्लैट खरीदे, जिसके मालिक चैतन्य हैं। ढिल्लन ने इसका 15 करोड़ भुगतान किया। ईडी ने उन कर्मचारियों के बयान लिये, जिनके नाम पर ढिल्लन ने फ्लैट खरीदा।
ऐसे फंस गया चैतन्य बघेल
पप्पू बंसल को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही ईडी-भूपेश बघेल
प्रेसवार्ता में भूपेश बघेल ने कहा कि चैतन्य की गिरफ्तारी पूरी तरह असंवैधानिक है। जिस पप्पू बंसल के बयान पर मेरे बेटे की गिरफ्तारी की गई, उसके खिलाफ ही गैर जमानतीय गिरफ्तारी वारंट जारी है और वह बेखौफ ईडी के दफ्तर में घूम रहा है। आखिर ईडी के अधिकारी बंसल को क्यों गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं।
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चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी से प्रदेश कांग्रेस अक्रामक हो गई है। शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में हुई बैठक में 22 जुलाई को छत्तीसगढ़ बंद व आर्थिक नाकेबंदी कर चक्काजाम का निर्णय लिया गया।
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