रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।
मैं जयस्तंभ चौक हूं। राजधानी के प्रमुख चौराहों में मेरी गिनती होती है। मेरा इतिहास भी पुराना है, लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियों तब आया जब मेरे 'वीर' को मेरे सामने फांसी के फंदे पर लटकाया गया। वह वीर छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह थे। अंग्रेजों ने 10 दिसंबर 1857 को उन्हें फांसी दी। चौक के नामकरण की बात करें तो आजादी मिलने के दिन ही जयस्तंभ चौक नाम पड़ा। इतिहासकारों के अनुसार करीब 150 वर्ष पहले यहां पक्की सड़क नहीं थी। चारों दिशाओं से आकर कच्ची सड़कें मिलती थीं। बीच में एक बड़ा पेड़ था। जयस्तंभ के शिलालेख का निर्माण 15 अगस्त 1947 को हुआ। यह हिंदी में स्वर्ण अक्षरों पर लिखा हुआ है। आजादी के बाद पहली बार देख रहा सन्नाटा, आजादी के पहले इस तरह का नजारा कभी- कभी देखने को मिलता था, जब अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन के बाद पुलिस लाठियां चलाती थी।
अभी शहर के हृदय स्थल जयस्तंभ चौक पर लॉकडाउन की वजह से सन्नााटा पसरा है। आम दिनों में यहां सुबह से देर रात तक सिग्नल बंद नहीं होते थे, हजारों गाड़ियां गुजरती थीं, लेकिन आज सिग्नल बंद हैं। इक्के-दुक्के वाहन ही गुजर रहे हैं।
इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र और वरिष्ठ शिक्षाविद सुरेश ठाकुर के अनुसार यह चौक आजादी के पहले शहर का प्रमुख चौराहा था। आज भी राजधानी समेत छत्तीसगढ़ के प्रमुख चौराहों में से एक है। यह विभिन्ना शहरों को भी जोड़ता है। इसके पश्चिम में मुंबई, पूर्व में संबलपुर (ओडिशा), कोलकाता, दक्षिण में बस्तर, उत्तर में रांची है। पहले चौक के आसपास नगर पालिका भवन, रेलवे पुलिस दफ्तर, छुरा बा़ड़ा और डाक घर होने के कारण दिन भर लोगों का आना-जाना लगा रहता था। न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कार्यक्रम, बल्कि विभिन्ना सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इसी जगह होते थे। आज भी कई कार्यक्रम यहां आयोजित किए जाते हैं।
-- पास ही थे तालाब
इतिहासकार मिश्र बताते हैं कि आजादी के पहले जयस्तंभ चौक के पास ही दो बड़े तालाब थे। एक तरफ रजबंधा तालाब, दूसरी तरफ अभी शास्त्री बाजार है, वहां तालाब था। जयस्तंभ के निर्माण का समय 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी में लिखा गया था, लेकिन विरोध होने पर कुछ दिनों बाद प्रशासन ने इसे हिंदी में लिखवाया।
-- छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन की शुरुआत भी यहीं से
जानकार कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन की शुरुआत भी इसी चौक हुई थी। 23 अक्टूबर 1978 को 'छत्तीसगढ़ राज्य गठन करो' का नारा लगते हुए जयस्तंभ चौक में पहली बार जुलूस निकाला गया था।