राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर। कभी माओवादी हिंसा की आग में झुलसता रहा मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिला अब शिक्षा और विकास की नई सुबह देख रहा है। यहां के 10 आदिवासी युवाओं ने स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) और छत्तीसगढ़ पुलिस कांस्टेबल जैसी कठिन परीक्षाओं में सफलता हासिल कर प्रेरक उदाहरण पेश किया है।
इसके लिए उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की 27वीं बटालियन के जवानों ने सहयोग किया। जवानों आदिवासी युवाओं को अपने ही कैंप में दो सालों तक करियर काउंसलिंग, शारीरिक प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया। इसका असर जमीन पर दिखने लगा। पांच युवाओं ने एसएससी क्लीयर की तो पांचने पुलिस कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा में दमखम दिखाया। इनमें दो युवतियां भी शामिल हैं।
आईटीबीपी के छत्तीसगढ़ में कमांडिंग आफिसर विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि बटालियन ने न सिर्फ सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से 5,000 से अधिक ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब विश्वास, विकास और सुरक्षा एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो बंदूक की जगह कलम और भय की जगह उम्मीद जन्म लेती है। माओवाद प्रभावित क्षेत्र अब शांति और प्रगति की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।