राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच दशकों से चला आ रहा महानदी जल विवाद अब सुलझता दिख रहा है। दोनों राज्यों ने इस पुराने मसले को बातचीत के जरिए हल करने की पहल की है। 30 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और जल संसाधन विभाग के सचिवों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें दिसंबर 2025 तक समाधान निकालने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में यह सहमति बनी कि दोनों राज्यों की तकनीकी समितियां, जिनमें इंजीनियर और विशेषज्ञ शामिल होंगे, सितंबर से हर हफ्ते बैठक करेंगी। इन बैठकों का उद्देश्य विवाद के मूल मुद्दों की पहचान करना और आपसी समन्वय के लिए एक नया ढांचा तैयार करना है। अक्टूबर में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव एक और बैठक करेंगे, जिसके बाद अगर सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर तक दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी मुलाकात कर सकते हैं।
यह विवाद 1983 से चला आ रहा है और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ ने अपनी सीमा में कई बैराज बनाकर हीराकुंड बांध में पानी के प्रवाह को रोका है, जबकि छत्तीसगढ़ का कहना है कि वह अपने हिस्से के पानी का ही उपयोग कर रहा है। इस नई पहल से उम्मीद है कि महानदी बेसिन क्षेत्र का समग्र विकास हो सकेगा और दोनों राज्यों के बीच सहयोग का एक नया अध्याय शुरू होगा।
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यह बांध केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया था और बाद में ओडिशा को सौंपा गया। छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि हीराकुंड बांध का मूल उद्देश्य सिंचाई और जल संरक्षण था, लेकिन ओडिशा सरकार इसे औद्योगिक उपयोग में अधिक ले रही है, जिससे गर्मियों में जल की मांग बढ़ जाती है।