नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर मंडल में ट्रेनों की साफ-सफाई को लेकर यात्री लगातार असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। हालत यह है कि रायपुर से गुजरने वाली ट्रेनों में हर महीने 40 से ज्यादा शिकायतें केवल गंदगी को लेकर दर्ज हो रही हैं। बीते एक साल के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि रेलवे की सफाई व्यवस्था गंभीर रूप से बीमार है। वहीं जोन की बात करें तो हालात और बद्तर हैं।
रेलवे की आधिकारिक रेल मदद ऐप पर दर्ज शिकायतों के अनुसार, पिछले 12 महीनों में जोन की 312 ट्रेनों में सफाई को लेकर कुल 8572 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें अकेले रायपुर से जुड़ी 480 से ज्यादा शिकायतें हैं, जो इस बात को दर्शाती हैं कि यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में सफाई की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है।
विशेष रूप से स्लीपर कोच की स्थिति बेहद खराब पाई गई है, जहां यात्रियों ने गंदगी, बदबू, गंदे टॉयलेट, और कचरे के ढेर की लगातार शिकायतें दर्ज कराई हैं। हालांकि एसी कोच को आमतौर पर साफ माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि यहां भी गंदगी की शिकायतें कम नहीं हैं।
यात्रियों का कहना है कि सफाई के लिए शिकायत दर्ज करने के बावजूद समय पर सफाई नहीं होती, या कर्मचारी कोच तक पहुंचते ही नहीं हैं। इसके अलावा कई बार शिकायतें दर्ज होने के बाद सफाई का अपडेट भेज दिया जाता है, जबकि काम किया ही नहीं गया होता। रेलवे प्रशासन द्वारा स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान के दावे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते। लगातार मिल रही शिकायतों के बावजूद सुधार की गति बेहद धीमी है, जिससे यात्रियों की परेशानी और नाराजगी बढ़ती जा रही है।
ट्रेनों में शौचालयों की स्थिति सबसे ज्यादा बदहाल हैं। खासकर स्लीपर और जनरल कोचों में सफाई व्यवस्था बदहाल है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गंदगी, बदबू और पानी की कमी जैसी समस्याएं आम हैं। यात्रियों द्वारा सबसे अधिक शिकायतें इन्हीं कोचों से सामने आती हैं, जहां यात्रियों की संख्या अधिक होती है लेकिन सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता।
लंबे सफर के दौरान शौचालयों की नियमित सफाई नहीं होने से हालात और बिगड़ जाते हैं। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को इससे विशेष दिक्कतें होती हैं। रेलवे द्वारा बार-बार सफाई व्यवस्था सुधारने के दावे किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे अलग है।
बिलासपुर जोन से गुजरने वाली 22 से अधिक ट्रेनों में गंदगी को लेकर यात्रियों की शिकायतों की संख्या 100 से भी ज्यादा पहुंच गई है। सबसे अधिक शिकायतें स्लीपर और जनरल कोचों में गंदगी, शौचालयों की बदहाली और कोचों में सफाई के अभाव को लेकर की गई हैं। डिब्बों में झाड़ू-पोंछा नहीं होता, सीटें गंदी रहती हैं और शौचालयों में पानी की भारी कमी होती है।
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कई यात्रियों ने रेलवे के शिकायत पोर्टल और हेल्पलाइन पर इस संबंध में शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नजर नहीं आती। नियमित सफाई न होने से संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता है।
वहीं साफ-सफाई को लेकर जिम्मेदार अधिकारी उल्टे यात्रियों के मत्थे ही गलती डाल रहे हैं। शिकायतों को लेकर सीनियर डीसीएम अवधेश कुमार द्विवेदी का कहना है कि शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई की जाती है। कोच में सफाई की जिम्मेदारी यात्रियों की भी है। रेलवे द्वारा जरूरत के आधार पर हर कोच की समय-समय पर सफाई की जाती है।