
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: प्रदेश में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या और उनके आतंक को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने सात विभागों को समन्वित अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके तहत पंचायत व ग्रामीण विकास, लोकनिर्माण, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, नगरीय प्रशासन, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और पशुधन विकास विभाग को स्पष्ट रूप से अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं।
सभी विभाग एक सप्ताह के भीतर प्रदेशभर के स्कूलों, अस्पतालों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल मैदान जैसे सार्वजनिक स्थलों की पहचान करेंगे, जहां आवारा कुत्तों की बे-रोकटोक आवाजाही होती है। इन स्थानों पर कुत्तों के प्रवेश रोकने के लिए गेट, फेंसिंग और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी। इसके लिए प्रत्येक संस्था में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो अभियान की निगरानी और रिपोर्टिंग करेंगे।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद सभी संबंधित विभागों को निर्देशित करते हुए पत्र जारी किया गया है। इसके अनुसार, अभियान के पहले चरण में प्रत्येक संस्था का प्रमुख यह चिन्हित करेगा कि कुत्ते परिसर में किन-किन रास्तों से प्रवेश करते हैं। इसके बाद छह सप्ताह के भीतर उन मार्गों को रोकने की प्रभावी व्यवस्था करना अनिवार्य होगा।
अधिकारियों का कहना है कि बहु-विभागीय समन्वय और व्यवस्थित योजना के माध्यम से न केवल कुत्तों के आतंक पर काबू पाया जा सकेगा, बल्कि सार्वजनिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षा भी बढ़ेगी। जरूरत पड़ने पर विभाग एक-दूसरे से सहयोग भी लेंगे, ताकि अभियान अधिक प्रभावी और परिणामकारी हो सके।
प्रदेश में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उसके आतंक को रोकने सात विभाग मिलकर संयुक्त अभियान चलाएंगे। राज्य सरकार की ओर से विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। एक सप्ताह के भीतर ऐसे स्कूलों, अस्पतालों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल मैदानों की पहचान की जाएगी, जहां आवारा कुत्तों की बे-रोकटोक एंट्री होती है। इसके बाद विभागों की ओर से रोकने गेट, फेंसिंग और दूसरे उपाए किए जाएंगे। कुत्तों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान के लिए हर जगह एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
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पशुधन विकास विभाग
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद विगत दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसके बाद से पंचायत व ग्रामीण विकास, लोकनिर्माण, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, उच्च शिक्षा व तकनीक शिक्षा, नगरीय प्रशासन, राष्ट्रीय सूचना और पशुधन विकास विभाग को पत्र जारी कर इसके पालन के लिए जिम्मेदारी तय की गई है।
अभियान के पहले चरण में हर संस्था के प्रमुख पहचान करेंगे कि आवारा कुत्तों की एंट्री संस्थान में किस रास्ते से हो रही हैं। उसके बाद एंट्री रोकने के लिए छह सप्ताह के भीतर इंतजाम करना होगा। जरूरत पड़ने पर दूसरे शासकीय विभागों की मदद लेंगे।