
नईदुनिया मनीष मिश्रा, रायपुर (Success Story)। राजधानी में अब विदेशी स्ट्राबेरी की मीठी सुगंध फैलने लगी है। यहां उगाई जाने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता भी अच्छी है। शंकर नगर निवासी प्रभात त्रिपाठी डेढ़ एकड़ में स्ट्राबेरी उगा रहे हैं। यहां पर विंटर डान, स्वीट सेंसेशन, पामरिटास, ब्रिलियंस, फोर्टुना और नबीला छह किस्मों की स्ट्राबेरी की फसल की खेती जा रही है। दो वर्ष में ही सालाना टर्नओवर 30 से 35 लाख रुपये पहुंच गया है।
प्रभात बताते हैं कि उन्होंने 15 वर्षों तक अलग-अलग कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों में नौकरी की। नौकरी के दौरान कोई अपना काम शुरू करने का विचार मन में आकार लेता रहा। परिणाम स्वरूप ट्रेडिंग का काम शुरू किया। वे बाजार की मांग का भी अध्ययन करने लगे। बाजार में विदेशी फल, सब्जियों की मांग बहुत ज्यादा थी, लेकिन पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता नहीं थी।
2023 में स्ट्राबेरी की खेती की शुरुआत की। इससे अच्छा फायदा भी होने लगा। विदेशी सब्जी की खेती के लिए अलग से पांच एकड़ भूमि को किराये पर लेकर खेती शुरू की। मूलत: सतना के रहने वाले प्रभात ने चित्रकूट से बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है।
प्रभात बताते हैं कि वे ओडिशा में भी स्ट्राबेरी समेत विदेशी सब्जियों की आपूर्ति होती है। यहां पर प्रतिदिन लगभग 300 किलो स्ट्राबेरी निकलती है। वे बीज उत्पादन भी कर रहे हैं, साथ ही किसानों को भी खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
एग्रो टूरिज्म को दे रहे बढ़ावा प्रभात खेती के साथ-साथ एग्रो टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रहे हैं। यही कारण है कि उनके फार्म हाउस में कोई भी व्यक्ति जाकर स्ट्राबेरी की खेती देख सकते हैं। अपने हाथों से तोड़कर खा और खरीद सकते हैं। अभी तक ऐसा नजारा महाबलेश्वर में देखने को मिलता था, वहां के किसान लोगों को भी अपने फार्म हाउस में आने देते हैं।
प्रभात के फार्म हाउस में 30 दिन में तैयार होने वाले फसल भी है। ये स्ट्राबेरी कैलिफोर्निया में पाई जाती है। ये फसल पांच महीने तक चलती है। बलुई दोमट मिट्टी स्ट्राबेरी की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है। इसमें स्ट्राबेरी का पौधा अधिक मजबूत होता है, उपज भी अच्छी होती है।
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