
नईदुनिया प्रतिनिधि, राजनांदगांव: आखिरकार एमएमसी (महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) जोन में माओवादी हिंसा का अंत हो गया है। एक करोड़ पांच लाख के इनामी सीसी मेंबर रामधेर उर्फ होरुप और उसके 11 साथियों के समर्पण के साथ इस क्षेत्र में लाल आतंक के खात्मे की पुष्टि हुई है। यह समर्पण कई चुनौतियों से भरा हुआ था। दो दिन पहले बालाघाट-खैरागढ़ की सीमा पर मातघाट में हाकफोर्स और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें रामधेर और उसके साथी शामिल थे।
सुरक्षाबलों के लिए यह समर्पण एक बड़ी सफलता है, क्योंकि रामधेर एंबुश लगाने और विस्फोटक बनाने में माहिर था। वह माओवादी संगठन की रीढ़ था, जिसने हिड़मा और देवा जैसे कैडर्स को तैयार किया। वर्ष 2023 में सीसी मेंबर मिलिंद तुमड़े के मारे जाने के बाद उसे एमएमसी जोन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पिछले दो वर्षों से वह संगठन की कमान संभाल रहा था।
बता दें, रामधेर उस समय का लड़ाका है जब माओवाद छत्तीसगढ़ में फैल रहा था। उसे सेंट्रल कमेटी मेंबर मुप्पला लक्ष्मण राव ने भर्ती किया था। रामधेर ने पहले लिट्टे के उग्रवादियों से ट्रेनिंग ली और फिर श्रीलंका जाकर माओवादियों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग दी। उसने सैकड़ों कैडर्स को विस्फोटक बनाने और एंबुश लगाने के तरीके सिखाए। वह अपने कैंप में दो दशकों तक माओवादी संगठन के लिए दो पीढ़ियां तैयार करने में सफल रहा।
सोमवार की सुबह जब रामधेर और उसके साथी खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के बकरकट्टा थाने पहुंचे, तो सुरक्षाबलों में हड़कंप मच गया। रामधेर ने अपनी बंदूकें सुरक्षाबलों को सौंपते हुए कहा कि वह हथियार डालने आया है। पुलिस उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी पहले से थी, और वह पिछले कुछ दिनों से राजनांदगांव पुलिस के संपर्क में था। तीन घेरे की सुरक्षा में रहने वाला रामधेर अब सुरक्षाबलों के सामने शांत बैठा था।
सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार, रामधेर कोरकोट्टी हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। उसने 12 जुलाई, 2009 को मानपुर के पास एंबुश लगाकर एसपी विनोद चौबे सहित 29 जवानों की हत्या की योजना बनाई थी। इस घटना के बाद माओवाद प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षाबलों का अभियान तेज हुआ। सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के कारण छह महीने में माओवाद का सफाया हो गया।
यह भी पढ़ें- 36 साल बाद 'लाल आतंक' खत्म! माओवादी समस्या से मुक्त हो रहा MP, ग्रामीणों की ये रणनीति आई काम
एमएमसी जोन अब वह क्षेत्र रह गया था जहां माओवादियों की सक्रियता बनी हुई थी। विभिन्न एरिया कमेटी तीन राज्यों की सीमाओं पर छिपी हुई थीं, लेकिन अब यहां केवल चार-पांच माओवादियों के बचे होने की बात कही जा रही है।
रामधेर ने कहा, "मैंने सरकार की नीतियों को अपना लिया है और संवैधानिक सीमा में रहकर काम करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में माओवाद समाप्त होना चाहिए।" वह 1990 में संगठन में शामिल हुआ था और हिड़मा जैसे कैडर्स को ट्रेनिंग भी दी है।