
नईदुनिया प्रतिनिधि, सुकमा: जिस हिड़मा की एक आवाज पर गांव ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लोग एकत्रित हो जाते थे, तीन स्तर की सुरक्षा में रहने वाला और चार दर्शक से दहशत कायम रखने वाला हिड़मा मुठभेड़ में मारा गया। वह दूसरी और उसके भाई माड़वी मुया के घर पर मां पूंजी और परिजन रो रहे थे, उनके अलावा घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था। ग्रामीणों ने दूरी बना रखी थी। वही हिड़मा के शव को लेने पहुंचे भाई और सरपंच कल शव को लेकर वापस गांव के लिए निकल सकते है।

बुधवार सुबह 8 बजे हिड़मा के बड़े भाई मुया के घर पर हिड़मा की मां पूंजी और भाभी रो रही थी। पास ने मुया के बच्चे भी रो रहे थे। लेकिन उनके अलावा कोई भी ग्रामीण आसपास नजर नहीं आ रहे थे। सभी ग्रामीण पास में आयोजित शिविर में अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए गए हुए थे।
बताते हैं कि हिड़मा के एक आवाज पर यहां का पूरा इलाका कांप जाता था आज उसकी मौत के बाद यहां गांव वाले तक नहीं आ रहे है। वही दहशत इतनी की गांव में हिड़मा की फोटो दिखाने पर भी पहचान नहीं कर रहे है। जबकि दूसरे प्रदेश के माओवादी मारे जाने के बाद उनके जनाजे में लोगों का हुजूम रहता है। लेकिन यहां ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है। हिड़मा का शव लेने के लिए उसका भाई मुआ और सरपंच गए हुए है।
माड़वी हिड़मा का चचेरा भाई माड़वी देवा ने बताया कि हिड़मा के मारे जाने का दुख है लेकिन उससे भी बड़ा दुख है कि वो गलत संगठन में चला गया था। काफी होशियार था उसे नौकरी करनी चाहिए थी ताकि उसके परिवार और गांव वालों का फायदा हो लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ साल पहले गांव के करीब आया था और परिजनों के साथ ग्रामीणों से मुलाकात की थी। उसने कहा था कि फोर्स का दबाव ज्यादा बढ़ गया है अब में नहीं आ पहुंचा। आराम से खेती करो।
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