
नईदुनिया न्यूज, लखनपुर। एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र के अमेरा खुली खदान के विस्तार को लेकर बुधवार को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हुआ। ग्रामीणों द्वारा पत्थर, गुलेल और डंडे से किए गए हमले में सरगुजा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लों सहित दो दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी जख्मी हुए हैं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को भी आंसू गैस छोड़ना पड़ा।
घटना में एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों को भी चोटें आई है। तनावपूर्ण माहौल के बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को खदेड़ दिया है। अधिग्रहित भूमि पर एसईसीएल प्रबंधन को कार्य करने देने सकारात्मक माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी, प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को समझाइश दे रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति निर्मित न हो।
एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र को अमेरा खुली खदान का विस्तार किया जाना है। इसके लिए भू अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। कुछ गांव वालों ने मुआवजा भी ले लिया है। एसईसीएल प्रबंधन जब-जब खदान के विस्तार के लिए प्रयास करता है तो परसोढ़ीकला के ग्रामीण विरोध में उतर आते हैं। पूर्व में भी कई बार विवाद और झूमाझटकी की स्थिति निर्मित हो चुकी है। खदान का विस्तार नहीं होने से एसईसीएल प्रबंधन उत्पादन शुरू नहीं कर पा रहा है।
खेतों में धान की कटाई पूरी हो जाने के बाद बुधवार को एसईसीएल प्रबंधन बड़ी संख्या में पुलिस बल को साथ लेकर खदान विस्तार के कार्य के लिए गया हुआ था। ग्रामीणों को इस बात की जानकारी पहले से ही थी। खुली खदान के ऊपरी क्षेत्र में गांव वाले पूरी तैयारी से बैठे थे। टीम के जाते ही ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया। पुलिस बल और ग्रामीण आमने-सामने आ गए। देखते ही देखते विवाद ने हिंसक संघर्ष का रूप ले लिया।
पुलिस टीम पर पत्थर, गुलेल और डंडे से हमला शुरू कर दिया गया। जबाब में पुलिस कर्मियों ने भी आंसू गैस छोड़े। खदान के ऊपरी क्षेत्र से भी पुलिस बल पर हमला किया गया। देखते ही देखते खदान क्षेत्र हिंसक झड़प का केंद्र बन गया। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को खदेड़ने पुलिस ने भी सख्ती बरती। आखिरकार गांव वालों को पीछे हटना पड़ा। इस घटना में सरगुजा के अपर कलेक्टर सुनील नायक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लों, एसडीओपी तुलसिंह पत्तावी, थाना प्रभारी लखनपुर मनीष सिंह परिहार, उदयपुर थाना प्रभारी शिशिर कांत सिंह, अश्विनी दिवान सहित दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। गंभीर रूप से घायल पुलिस कर्मियों का मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में उपचार कराया गया। कई पुलिस अधिकारी व जवानों का पत्थर और गुलेल के हमले से सिर फट गया। प्राथमिक उपचार के बाद कई पुलिसकर्मी पुनः ड्यूटी स्थल पर उपस्थित हो गए थे।
हिंसक झड़प में ग्रामीणों में शामिल पूर्व सरपंच लोकनाथ उररे, फुलेश्वर राजवाड़े, राजेंद्र सिंह, चरण, अनीता सिंह, नंद लाल सिंह, देव चरण राम, दयलाल, मिलन राजवाड़े, भोगली बई, सुनेश्वर रजक, संतोष राजवाड़े, सहित अन्य महिला पुरुष ग्रामीण घायल हो गए। इनका भी उपचार कराया गया।
पुलिसकर्मियों पर किए गए हमले के बाद भी ग्रामीण पीछे हटने को तैयार नहीं थे। वे खुली खदान के ऊपरी क्षेत्र में जमे हुए थे। उनके द्वारा बीच-बीच में पत्थर फेंके जा रहे थे। खदान के ऊपरी क्षेत्र में एक झोपड़ी बनाकर कई दिनों से ग्रामीण आंदोलन कर रहे थे। ग्रामीणों के उग्र रूप को देखते हुए आखिरकार पुलिस को भी सख्ती बरतनी पड़ी। बड़ी संख्या में पुलिस बल उस क्षेत्र में गया जहां झोले और बोरे में पत्थर भरकर गांव वाले जमे हुए थे। उन सभी को पूरी सख्ती के साथ खदेड़ा गया। जिस झोपड़ी में बैठकर ग्रामीण आंदोलन करते थे उस झोपड़ी को भी तोड़ दिया गया। अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य एसईसीएल प्रबंधन को देने के साथ ही देर शाम कड़ी सुरक्षा में काम भी शुरू करा दिया गया। प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर सुनील नायक के नेतृत्व में एसईसीएल, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी लगातार प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को समझाइश देने का प्रयास करते रहे लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। आखिरकार विरोध ने हिंसक रूप ले लिया।
अमेरा खदान क्षेत्र में ग्रामीणों ने दो बार पुलिस और प्रशासन की टीम पर हमला किया। पहली बार हमले में बड़ी संख्या में घायल पुलिसकर्मियों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया था। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए अपर कलेक्टर सुनील नायक स्वयं मौके पर पहुंच गए थे। उस दौरान भी ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जमा थी। अपर कलेक्टर ने उन्हें समझाया कि भू अर्जन की कार्यवाही हो चुकी है। मुआवजा भी कई लोगों ने ले लिया है। उसके बाद भी विरोध का यह तरीका उचित नहीं है। वे कानूनी रूप से अपनी बात सक्षम स्तर पर रख सकते हैं। लगातार समझाइश के बाद भी ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे। अचानक ग्रामीणों की ओर से दूसरी बार पत्थरबाजी शुरू हो गई। इस बार बड़े-बड़े पत्थर अपर कलेक्टर के पेट और मेरुदंड के पास लगे। दूसरी बार भी कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए। तब पुलिस को सख्ती बरतनी पड़ी और आंसू गैस छोड़ने पड़े।
अमेरा खुली खदान के विस्तार को लेकर बुधवार को विवाद उस समय हिंसक रूप ले लिया जब कथित रूप से विरोध में शामिल एक स्कूली छात्र को हिरासत में ले लिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि 12वीं के छात्र को हिरासत में लेकर उनके विरोध को दबाने का प्रयास किया गया। इसके बाद विवाद और बढ़ गया। इसी बीच ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हुई। बुधवार को दिनभर खदान क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ था। एक बार पुलिस टीम और ग्रामीणों के आमने-सामने हिंसक झड़प के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं थी। खदान के ऊपरी क्षेत्र में ग्रामीण जमे हुए थे और दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन की टीम थी। इस दौरान भी पत्थर फेंके गए और गुलेल से पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया।
एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र के अमेरा खदान को पहले चरण में जितनी जमीन आबंटित की गई थी, उसमें से कोयला उत्खनन किया जा चुका है। उसके बाद से उत्पादन बंद है। खदान का विस्तारीकरण परसोढ़ीकला की ओर करना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया वर्ष 2016 में ही पूरी की जा चुकी है। कोल बियरिंग एक्ट के तहत यह प्रक्रिया पूरी कर कई ग्रामीणों को नौकरी भी दी जा चुकी है। जिन ग्रामीणों ने मुआवजा नहीं लिया है उनकी राशि ट्रिब्यूनल में जमा कर दी गई है। प्रविधानों के तहत जमीन पर एसईसीएल का आधिपत्य है लेकिन गांववाले जमीन देने तैयार नहीं है। वे पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे हैं। वर्तमान में उन्होंने जमीन पर धान की खेती की थी। इस कारण प्रबंधन ने कार्रवाई नहीं की। धान कटाई के बाद एसईसीएल ने पुलिस के साथ जमीन पर कार्य करना आरंभ किया तो हिंसक झड़प हो गई।
कोल बियरिंग एक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। कई ग्रामीणों ने मुआवजा भी ले लिया है। शेष प्रभावितों की राशि ट्रिब्यूनल में जमा है। प्रविधानों के तहत जमीन पर हमारा अधिकार है। मुआवजा के बाद भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। हमारी जमीन पर धान की खेती कर बिक्री कर रहे हैं। अभी तक फसल थी इसलिए प्रबंधन ने काम आगे नहीं बढ़ाया था। अब फसल कट चुकी है, हम काम करना चाह रहे हैं तो हमला किया जा रहा है। हर किसी को कानून के दायरे में रहकर ही कार्य करना चाहिए। - डॉ. संजय सिंह, क्षेत्रीय महाप्रबंधक, एसईसीएल विश्रामपुर
कानून व्यवस्था व शांति-सुरक्षा के लिए पुलिस टीम कर्त्तव्यस्थ थी। पुलिस अधिकारी, जवानों पर पत्थर, गुलेल और डंडे से हमला किया गया। दो दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारी व जवान घायल हुए हैं। कानून हाथ में लेने वालों के विरुद्ध पुलिस वैधानिक कार्रवाई करेगी। - राजेश अग्रवाल, एसएसपी, सरगुजा
वर्ष 2016 में ही भू अर्जन की कार्यवाही पूरी की जा चुकी है। कई भू स्वामियों ने मुआवजा भी ले लिया है लेकिन अब वे जमीन छोड़ने तैयार नहीं है। लगातार उन्हें समझाइश दी गई। कई दौर की वार्ता भी की गई। उन्हें समझाया गया कि भू अर्जन के बाद वे विधि के अनुरूप अपनी बात रख सकते हैं लेकिन उन्होंने पत्थरबाजी और गुलेल से हमला किया। कई पुलिस अधिकारी, जवानों को चोटें आई हैं। प्रशासनिक स्तर पर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है। - सुनील नायक, अपर कलेक्टर, सरगुजा