
डिजिटल डेस्क: बिहार में पहले चरण के चुनाव नजदीक आते ही राजद और जदयू के बीच मुस्लिम मतदाताओं को लेकर चुनावी प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। दोनों पार्टियां अलग-अलग दलीलों और वादों के ज़रिए समुदाय के समर्थन को हासिल करने का प्रयास कर रही हैं। तेजस्वी यादव ने वक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर तीखा रुख अपनाया है और कहा है कि उनकी सरकार बने तो वे उन संशोधनों को रद्द कर देंगे। इस बातचीत के दौरान तेजस्वी ने स्पष्ट रूप से मुसलमानों के हितों को अपने चुनावी एजेंडे का केंद्र बताया है।
वहीं जदयू ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि जब वक्फ कानून बिल के रूप में संसद में आया था तो जदयू ने संयुक्त संसदीय कमेटी का सुझाव दिया था और उनके आग्रह पर यह कमेटी बनाई भी गई थी। उनका कहना है कि बिल पारित होने के बाद जदयू के किए गए संशोधनों को केंद्र ने रखा था, इसलिए किसी भी तरह के संशोधनों को एकतरफा रूप से नकारना संभव नहीं है। जदयू इस विषय को कानून के रूप में मानने की बात कहकर तेजस्वी के बयान का जवाब दे रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मुस्लिम समाज को संदेश दे रहे हैं कि उनकी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के समुदाय को उनके हक दिलाने की कोशिश की है। नीतीश ने यह रेखांकित किया है कि उनकी सरकार ने मुस्लिमों को विभिन्न क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व और हिस्सेदारी दी है और लोगों को अपने कामों को ध्यान में रखकर मतदान करना चाहिए। उन्होंने बिना किसी राजनीतिक नाम का ज़िक्र किए यह भी कहा कि पूर्व सरकारें केवल वोट बैंक के लिए समुदाय का इस्तेमाल करती रहीं और उन्हें वास्तविक हिस्सेदारी नहीं मिली।
मुख्यमंत्री नीतीश यह भी बताना चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ राजनीतिक ताकतें फिर मुस्लिम हितैषी बनने के दावे करके वोट मांग रही हैं, जबकि वे केवल वोट हासिल करने की रणनीति अपनाते हैं। वे समुदाय से आग्रह कर रहे हैं कि वे पिछले कार्यों और प्राप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ही अपने फैसले लें।
आंकड़ों की बात करें तो बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17.7 प्रतिशत है और यह प्रतिशत प्रदेश के 50 से 70 विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। सीमांचल के जिलों किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में मुस्लिम वोटरों का अनुपात अधिक है।
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किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 44 प्रतिशत, अररिया में 43 प्रतिशत और पूर्णिया में 39 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, जो कुल सदस्यों का लगभग आठ प्रतिशत है।
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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सीमांचल और अन्य मुस्लिम-घनत्व वाले क्षेत्रों में दोनों पार्टियों की रणनीतियाँ और घोषणाएं चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। सवाल यह है कि कौन सी दलील और कौन सा वादा सामान्य मुस्लिम मतदाता के भरोसे को जीतेगा। तेजस्वी का वक्फ कानून रद्द करने का वादा या नीतीश-जदयू का पिछले वर्षों का रिकॉर्ड और प्रतिनिधित्व का दावा। अंततः आगामी मतदान इस गणित का निर्णायक होगा।