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डिजिटल डेस्क। Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025 के दूसरे और अंतिम चरण के लिए मंगलवार को मतदान हो रहा है। इस दौर में 20 जिलों की 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इस चरण में नीतीश सरकार के 12 मंत्रियों की साख दांव पर है, लेकिन असली इम्तिहान उन नेताओं का है जो खुद मैदान में नहीं हैं - असदुद्दीन ओवैसी, पप्पू यादव, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के लिए यह चुनाव सीमांचल में उनकी सियासी जमीन बचाने की लड़ाई है। 2020 में AIMIM ने सीमांचल की पांच सीटें जीतकर हलचल मचाई थी, लेकिन बाद में चार विधायक आरजेडी में चले गए। अब ओवैसी ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 17 पर दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। सीमांचल की 15 सीटों पर AIMIM की उम्मीदें टिकी हैं। मुस्लिम वोटों पर प्रभाव बनाए रखने के लिए ओवैसी ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन कांग्रेस और सपा ने इमरान प्रतापगढ़ी और इकरा हसन जैसे चेहरे उतारकर उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।
पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हों, लेकिन कांग्रेस में उनका कद इस चुनाव से तय होगा। सीमांचल में कांग्रेस ने 37 उम्मीदवार उतारे हैं और अधिकांश सीटों पर पप्पू यादव की रणनीति पर नजरें टिकी हैं। 2020 में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस इस बार बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही है। ऐसे में पप्पू यादव के लिए यह अपनी सियासी पकड़ साबित करने का मौका है।
आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के सहयोगी हैं और उनके कोटे की छह में से चार सीटों पर दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। सासाराम से उनकी पत्नी स्नेहलता मैदान में हैं। यदि कुशवाहा अपने प्रत्याशियों को जिताने में नाकाम रहते हैं, तो उनके राजनीतिक प्रभाव को झटका लग सकता है।
वहीं, HAM प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की भी यही स्थिति है। उनकी पार्टी के सभी छह उम्मीदवार इसी चरण में मैदान में हैं। इमामगंज से उनकी बहू दीपा मांझी और बाराचट्टी से समधन ज्योति देवी चुनाव लड़ रही हैं। मांझी के लिए यह पारिवारिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर अग्निपरीक्षा है।
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