
डिजिटल डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) महागठबंधन, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए सिरदर्द बनती दिख रही है। ओवैसी पहली बार सीमांचल और मुंगेर क्षेत्र में चुनावी जनसभा करने जा रहे हैं, जिससे मुस्लिम वोट बैंक में खलबली मच गई है।
मंगलवार को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुंगेर पहुंचेंगे और अपने उम्मीदवार, पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन के समर्थन में सभा को संबोधित करेंगे। यह पहली बार होगा जब ओवैसी मुंगेर के मंच से जनता को संबोधित करेंगे। राजनीतिक हलकों में इसे RJD के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 हजार से अधिक है, जो अब तक महागठबंधन के कोर वोटर माने जाते रहे हैं।
मोनाजिर हसन पहले जदयू और राजद दोनों से विधायक रह चुके हैं और चार बार विधानसभा पहुंच चुके हैं। जदयू सरकार में उन्हें मंत्री पद भी मिल चुका है। इस बार उन्होंने ओवैसी की पार्टी AIMIM का दामन थामा है और मुंगेर सीट से मैदान में हैं। माना जा रहा है कि हसन के अनुभव और स्थानीय पकड़ से एआईएमआईएम को बड़ा फायदा मिल सकता है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि ओवैसी सीमांचल और मुंगेर क्षेत्र में मुस्लिम वोटों को गोलबंद करने में सफल होते हैं, तो इसका सीधा असर राजद के वोट बैंक पर पड़ सकता है। इससे महागठबंधन की स्थिति कमजोर हो सकती है और एनडीए को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है।
AIMIM ने करीब एक माह पूर्व मुंगेर प्रमंडल की बैठक में यह मांग रखी थी कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में महागठबंधन दो से तीन सीटें उन्हें दे। हालांकि, जमुई सीट पर राजद ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, जिससे एआईएमआईएम ने अलग राह पकड़ ली। पार्टी ने मोनाजिर हसन को मुंगेर से उतारकर मुस्लिम समाज में एकजुटता लाने की कोशिश की है।
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स्थानीय स्तर पर ओवैसी की सभा को लेकर गहमागहमी तेज है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह सभा सिर्फ मुंगेर ही नहीं, बल्कि पूरे सीमांचल क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। मुस्लिम वोट बैंक अब तक महागठबंधन के साथ रहा है, लेकिन ओवैसी की सक्रियता इस बार उसे विभाजित कर सकती है।
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मोनाजिर हसन ने कहा कि वे जनता के बीच तीन मुद्दों स्थानीय विकास, रोजगार और शिक्षा के साथ जाएंगे। उनका दावा है कि उनकी पहचान केवल समुदाय आधारित नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास से जुड़ी है। AIMIM रणनीतिकारों का मानना है कि मुंगेर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ओवैसी की मौजूदगी और हसन की लोकप्रियता मिलकर चुनावी माहौल को गर्मा सकती है।