
डिजिटल डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Elections 2025) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, मिथिलांचल का राजनीतिक पारा तेजी से चढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र की सात सीटें- दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी जिलों की राजनीतिक रूप से सबसे ‘हॉट’ (Bihar Vidhan Sabha Hot Seats) मानी जा रही हैं। इन सीटों पर NDA और INDIA गठबंधन (महागठबंधन) के बीच कांटे की टक्कर की संभावना है। राजनीतिक पंडित भी इन सीटों के परिणामों को लेकर अनुमान लगाने से बच रहे हैं, क्योंकि मुकाबला अत्यंत दिलचस्प और अप्रत्याशित हो सकता है।

इन सात सीटों में दरभंगा ग्रामीण, समस्तीपुर, हसनपुर, मोरवा, विभूतिपुर, मधुबनी और लौकहा शामिल हैं। फिलहाल इन छह सीटों पर राजद और एक पर माकपा का कब्जा है। दरभंगा ग्रामीण से राजद के ललित कुमार यादव, समस्तीपुर से अख्तारूल इस्लाम, हसनपुर से तेजप्रताप यादव, मोरवा से रंजय कुमार साह, विभूतिपुर से माकपा के अजय कुमार, मधुबनी से समीर कुमार महासेठ और लौकहा से भरत भूषण मंडल विधायक हैं।
मिथिलांचल क्षेत्र की कुल 30 सीटों में से 23 सीटें NDA के कब्जे में हैं, लेकिन ये सात सीटें लगातार विपक्ष के पास बनी हुई हैं। 2020 के चुनाव में लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के अलग चुनाव लड़ने से एनडीए को इन क्षेत्रों में भारी नुकसान झेलना पड़ा था। उस समय चिराग पासवान ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और राजद को लाभ मिल गया।
लोजपा ने 2020 में दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी की 30 विधानसभा सीटों में से 17 पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। इन 17 में से 10 सीटों पर एनडीए जीत सका, जबकि सात सीटों पर नुकसान हुआ। इन सभी सीटों पर जदयू के उम्मीदवार तीसरे या दूसरे स्थान पर खिसक गए। इस बार चिराग पासवान एनडीए में शामिल हैं, जिससे पार्टी उन सात सीटों को हर हाल में वापस पाने की कोशिश में है।
दरभंगा जिले की बात करें तो यहां की 10 सीटों में से नौ पर एनडीए का कब्जा है, लेकिन दरभंगा ग्रामीण सीट पर जदयू की हार हुई थी। 2020 में लोजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार झा ने 17,605 वोट लेकर जदयू उम्मीदवार की हार सुनिश्चित की थी। अन्य सीटों- कुशेश्वरस्थान, गौड़ाबौराम, बेनीपुर, अलीनगर और बहादुरपुर पर भी लोजपा उम्मीदवारों ने अच्छी संख्या में वोट प्राप्त कर मुकाबले को प्रभावित किया था।
समस्तीपुर जिले में लोजपा ने 2020 में सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें चार पर एनडीए को सीधा नुकसान हुआ। समस्तीपुर से लोजपा के महेंद्र प्रधान को 12,074 वोट, विभूतिपुर से चंद्रबली ठाकुर को 28,811 वोट, हसनपुर से अर्जुन प्रसाद यादव को 9,882 वोट, और मोरवा से अभय कुमार सिंह को 23,884 वोट मिले। इन सभी सीटों पर जदयू उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा और राजद ने जीत दर्ज की।
मधुबनी जिले में भी लोजपा ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें दो सीटों पर एनडीए को नुकसान हुआ। मधुबनी से लोजपा के अरविंद कुमार पूर्वे को 15,818 वोट मिले, जिससे वीआईपी उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ हार गए और राजद के समीर कुमार महासेठ विजयी हुए। वहीं, लौकहा से प्रमोद कुमार प्रियदर्शी को 30,494 वोट मिले, जिससे जदयू के लक्ष्मेश्वर राय पराजित हुए और राजद के भरत भूषण मंडल ने जीत हासिल की।
बाकी दो सीटों बाबूबरही और फुलपरास पर लोजपा उम्मीदवारों को क्रमशः 9,818 और 10,088 वोट मिले। भले ही इन सीटों पर जदयू ने जीत दर्ज की, लेकिन मुकाबला बेहद कठिन रहा।
अब जब चिराग पासवान दोबारा एनडीए में लौट आए हैं, तो पार्टी उम्मीद कर रही है कि पिछली गलतियों को सुधारते हुए इन सात सीटों पर मजबूत प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं, महागठबंधन (INDIA) भी इन सीटों को बचाने के लिए हर संभव रणनीति बना रहा है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मिथिलांचल की ये सात सीटें न केवल क्षेत्रीय बल्कि राज्य स्तरीय समीकरणों को भी प्रभावित करेंगी। अगर एनडीए यहां वापसी करने में सफल रहता है, तो यह सत्ता की राह को आसान बना देगा। वहीं, INDIA गठबंधन के लिए इन सीटों पर जीत उसकी राजनीतिक स्थिति को और मजबूत कर सकती है।
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इन सीटों पर मतदाता भी इस बार बेहद सतर्क हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशांत किशोर की पार्टी “जन सुराज” 2020 जैसी भूमिका निभा पाएगी या नहीं। कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 में मिथिलांचल की ये सात सीटें राज्य की राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाली साबित हो सकती हैं।