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लाइफस्टाइल डेस्क। एक दौर था जब फोटो जर्नलिज्म के पेशे में महिलाएं न के बराबर थीं, लेकिन भारत में यह तस्वीर होमाई व्यारावाला (Homai Vyarawalla) ने बदली। वह भारत की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट थीं, जिन्होंने अपनी तस्वीरों के जरिए देश के इतिहास को जीवंत कर दिया। उन्होंने देश के आजाद होने से लेकर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित होने तक के पूरे सफर को अपने कैमरे में कैद किया।
होमाई व्यारावाला का जन्म 9 दिसंबर, 1913 को गुजरात में पारसी समुदाय में हुआ था। उन्होंने मुंबई में जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से फोटोग्राफी और फाइन आर्ट्स की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज में उनकी मुलाकात फ्रीलांस फोटोग्राफर मानेकशॉ व्यारावाला से हुई, जिन्होंने उन्हें कैमरे की दुनिया से परिचित कराया।
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शुरुआत में उनकी तस्वीरें उनके पति के नाम से छपती थीं, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपना खास पेन नेम 'डालडा 13' अपनाया, जिसमें '13' उनके जन्म वर्ष 1913 को दर्शाता था। उनकी तस्वीरें इतिहास की सबसे सटीक और भावनात्मक झलक मानी जाती हैं।
होमाई व्यारावाला ने 1942 में अपने पति के साथ दिल्ली आकर ब्रिटिश इन्फॉर्मेशन सर्विस के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद के कई ऐतिहासिक पलों को कैमरे में कैद किया।

उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और माउंटबेटन जैसे नेताओं की दुर्लभ तस्वीरें खींचीं। 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन के वायसराय हाउस से संसद भवन तक के जुलूस की तस्वीरें भी उन्होंने ही खींची थीं। 1956 में, उन्होंने बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेने की ऐतिहासिक तस्वीर नाथू ला दर्रे पर खींची थी।
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होमाई व्यारावाला ने 1970 में अपने पति के निधन के बाद फोटोग्राफी छोड़ दी और उसी साल अपना आखिरी असाइनमेंट शूट किया। 2010 में, उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय फोटो अवॉर्ड में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला। 2011 में, भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा। 15 जनवरी 2012 को 99 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
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