PCOS Awareness Month: क्या होता है पीसीओएस, महिलाओं में बढ़ रहे केस, इन तरीकों से हो सकता है निदान
यह बीमारी महिलाओं के हार्मोन और अंडोत्सर्जन को प्रभावित करती है और बांझपन का एक बड़ा कारण बन गई है। समय रहते निदान और जीवनशैली में सुधार किया जाए तो प्रजनन संबंधी परेशानियां कम की जा सकती हैं।
Publish Date: Thu, 30 Oct 2025 08:04:42 PM (IST)
Updated Date: Thu, 30 Oct 2025 08:08:37 PM (IST)
पीसीओएस के मामलों के चलते महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है।HighLights
- प्रजनन उपचार लेने वाली 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीडि़त।
- समय पर जांच और जीवनशैली में बदलाव से प्रजनन क्षमता सुधर सकती है।
- यह बीमारी महिलाओं के हार्मोन और अंडोत्सर्जन को प्रभावित कर देती है।
लाइफस्टाइल डेस्क। महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, फर्टिलिटी के इलाज के लिए आने वाली हर 4 में से लगभग 1 महिला को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की समस्या है। यह बीमारी महिलाओं के हार्मोन और अंडोत्सर्जन को प्रभावित करती है और बांझपन का एक बड़ा कारण बन गई है। समय रहते निदान और जीवनशैली में सुधार किया जाए तो प्रजनन संबंधी परेशानियां कम की जा सकती हैं।
एग फ्रीजिंग एक अच्छा विकल्प
पीसीओएस वाली महिलाओं के लिए अंडाणु सुरक्षित रखना (एग फ्रीजिंग) एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि इस समस्या में ज़्यादातर अंडाणु ज्यादा संख्या में मिल जाते हैं। इन्हें भविष्य में गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हम ग्रामीण इलाकों में भी पीसीओएस के मामले बढ़ते देख रहे हैं। यहां खानपान और कम शारीरिक मेहनत इसका कारण है।
इन कारणों से होती है लापरवाही
इंदौर स्थित नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी के क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. कल्याणी श्रीमाली ने कहॉं, “कई महिलाएं पीरियड्स की गड़बड़ी को नजरअंदाज कर देती हैं। समय पर जांच न कराने के कारण बांझपन की समस्या और बढ़ जाती है। पीसीओएस वाली महिलाओं को समय पर डॉक्टर की सलाह, सही जीवनशैली और जरूरत पड़ने पर सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) की मदद लेनी चाहिए।
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आयु वर्ग में हार्मोनल असंतुलन का सबसे आम कारण
इंदौर स्थित नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी के फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. ज्योति त्रिपाठी ने कहॉं, “पीसीओएस प्रजनन आयु वर्ग में हार्मोनल असंतुलन का सबसे आम कारण हैं। पीसीओएस से पीडित महिलाओं को अक्सर ओव्यूलेशन की कमी का सामना करना पडता हैं, जो गर्भधारणा के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं। बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक होने के बावजूद, आधुनिक प्रजनन उपचारों में कई ऐसे तरीके हैं जिनसे इस स्थिति को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता हैं और यह दंपत्ति को अपने स्वयं के युग्मकों के साथ गर्भधारण करने में मदद कर सकता हैं।
इन तरीकों से हो सकता है निदान
- यह सभी के लिए एक जैसा नहीं हैं, पीसीओएस से पीडि़त महिलाओं को व्यक्तिगत उपचार प्रोटोकॉल और चिकित्सा के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहायता की भी आवश्यकता होती हैं।
- नियमित व्यायाम, आहार प्रबंधन और किसी भी पूर्व- मौजूदा चयापचय संबंधी गडबडी को ठीक करने जैसे सकारात्मक जीवनशैली में हस्तक्षेप प्रजनन परिणामों में महत्त्वपूर्ण अंतर ला सकते हैं।
- पांच से दस प्रतिशत वजन कम करने से भी हॉर्मोनल असंतुलन सामान्य हो सकता हैं औऱ नियमित मासिक धर्म चक्र को फिर से शुरू करने और ओव्युलेशन को बहाल करने में मदद मिल सकती हैं।
आहार में करें ये बदलाव
- आहार में बदलाव, जैसे कि सरल कार्बोहाइड्रेट में कम औऱ प्रोटीन, फाइबर औऱ जटिल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार का सेवन, इंसुलिन प्रतिरोध को नियंत्रण करने और वजन कम करने में मदद करता हैं।
- हम उन युवा महिलाओं से आग्रह करते हैं जो अनियमित मासिक धर्म, मुहासे, अनचाहे बालों के विकास जैसे लक्षणों का अनुभव कर रही हैं।
- वजन बढ़ने या अन्य चिंताओं से न हिचकिचाएं, अपने माता-पिता या परिवार से बात करें और स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले। शीघ्र निदान और समय पर हस्तक्षेप ही सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।