
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। कुछ नया करने के लिए उम्र नहीं, बल्कि जज़्बे और धैर्य की जरूरत होती है। इस बात को सच कर दिखाया है भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एस.आर. रावत ने, जिन्होंने 93 वर्ष की उम्र में अपने जीवन और अनुभवों पर आधारित 266 पृष्ठों की संस्मरण पुस्तक ‘एक फॉरेस्ट ऑफिसर की डायरी’ लिखी है।
यह पुस्तक वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए न केवल अपने दायित्वों को बेहतर ढंग से निभाने की प्रेरणा देती है, बल्कि सार्वजनिक जीवन में आदर्श आचरण और व्यवहार का मार्ग भी दिखाती है। इसमें समाजसेवा, टीमवर्क, योजनाबद्ध कार्यप्रणाली और आदर्श नेतृत्व जैसे विषयों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला गया है।
रावत बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान घर में रहते हुए उन्होंने सोचा कि खाली समय का उपयोग किसी रचनात्मक कार्य में किया जाए। इसी दौरान उनके मित्र पंकज स्वामी ने सुझाव दिया कि वे वन विभाग में अपने लंबे अनुभवों को पुस्तक के रूप में संजोएं। चार साल की मेहनत के बाद यह सचित्र पुस्तक तैयार हुई, जिसे हाल ही में गरुण प्रकाशन, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।
रावत ने बताया कि उन्होंने 1954-56 बैच में इंडियन फॉरेस्ट कॉलेज, देहरादून से फॉरेस्ट ऑफिसर ट्रेनिंग ली थी और वर्ष 1991 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) मप्र के पद से सेवानिवृत्त हुए।
इस दौरान अर्जित अनुभवों को उन्होंने छोटी-छोटी सच्ची कहानियों के रूप में लिखा है। पुस्तक में उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया है कि सीधे और सत्यनिष्ठ दृष्टिकोण से भी जीवन में सफलता हासिल की जा सकती है।
पुस्तक में पर्यावरण संरक्षण और वनवासियों की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है। रावत लिखते हैं कि वनों की सुरक्षा वनवासियों के सहयोग के बिना संभव नहीं, इसलिए उनकी समस्याओं को समझना और समाधान निकालना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वनों को सुरक्षित रखने की दिशा में किस तरह तालमेल और योजनाबद्ध प्रयास किए जा सकते हैं।
पुस्तक में रावत ने यह भी लिखा है कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वनों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें अब तक वह प्रोत्साहन और सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार हैं।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले वन अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरस्कार और प्रोत्साहन देने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि वे और अधिक समर्पण के साथ कार्य कर सकें।
‘एक फॉरेस्ट ऑफिसर की डायरी’ में रावत ने बोरी, सतपुड़ा, कान्हा, पेंच, अबूझमाड़, कांकेर घाटी सहित कई टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क के रोचक अनुभवों को दर्ज किया है। अमरकंटक और चित्रकूट जैसे धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थलों के विहंगम वर्णन भी इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता हैं।
रावत का कहना है कि यह पुस्तक न केवल वन अधिकारियों के लिए बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी प्रेरणादायी है। इसमें प्रस्तुत प्रसंग न केवल प्रकृति के प्रति लगाव जगाते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि अनुशासन, सत्यनिष्ठा और धैर्य से जीवन में हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।