
नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। जैसे-जैसे मिशन 2026 के पूरा होने का समय करीब आ रहा है, वैसे-वैसे सुरक्षाबल माओवादियों पर चौतरफा दबाव बना रहे हैं। शनिवार को मध्यप्रदेश के बालाघाट और छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ सीमा क्षेत्र के जंगल में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई। जिस क्षेत्र में मुठभेड़ हुई है, वह बालाघाट के अंतर्गत आता है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने मुठभेड़ की पुष्टि की है।
उन्होंने ‘नईदुनिया’ से चर्चा में बताया कि शनिवार दोपहर करीब 12.30 बजे मप्र-छग सीमा क्षेत्र में माताघाट पर माओवादियों के साथ मुठभेड़ हुई है। माओवादियों की संख्या स्पष्ट नहीं है। मुठभेड़ के बाद माओवादी अपना डेरा छोड़कर भाग निकले। सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में माओवादियों के दैनिक उपयोग के सामान, मेडिकल सामग्री, इलेक्ट्राॅनिक सामग्री और पिट्टू बैग आदि बरामद किये। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने बताया कि माओवादियों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।
सुरक्षाबलों के दबाव का ही नतीजा है कि माओवादी लगातार अपने डेरे छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं। वो एक जगह नहीं रुक पा रहे हैं। उन्हें बार-बार अपने ठिकाने बदलने पड़ रहे हैं। खास बात है कि माओवादियों को गांवों से मिलने वाला सहयोग मिलना अब बिल्कुल बंद हो गया है। ग्रामीण अच्छे-बुरे में फर्क समझ रहे हैं।
उन्होंने माओवादियों को किसी भी तरह से सहयोग न करने का संकल्प लिया है। इसलिए वो राशन-दवाइयों के लिए मोहताज हैं। उनके पास खाने-पीने की सामग्री भी खत्म हो रही है। पुलिस अधीक्षक ने एक बार फिर माओवादियों को आत्मसमर्पण करने या सुरक्षाबलों की कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है।