नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। माओवाद प्रभावित बैहर और परसवाड़ा विस अंतर्गत घने जंगल के अंदर बसे 30 से अधिक गांवों के लोगों ने शुक्रवार को नेटवर्क की समस्या दूर न होने से नाराज होकर बालाघाट से बैहर राजमार्ग पर गांगुलपारा के बंजारी में चक्काजाम कर दिया गया। इससे दोनों तरफ वाहनों के पहिए थम गए। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांवों में नेटवर्क की समस्या लंबे समय से बनी है। जिसका असर पंचायतों के कामकाज पर पड़ रहा है।
नेटवर्क मिलाने के लिए कई बार पंचायत के कर्मचारी ऊंचाई वाले स्थान पर पहुंच जाते हैं, लेकिन थोड़ा बहुत नेटवर्क मिलने पर काम पूरे नहीं हो पा रहे है। जिससे पंचायतों में कई सारे कामकाज प्रभावित होने लगे है। दरअसल, क्षेत्र के घने जंगलों में बीएसएनएल के अधिकांश टावर लगे हैं, जिनमें से कई टावर बंद पड़े हैं। इस समस्या से कई बार जनप्रतिनिधि से लेकर कलेक्टर तक को अवगत कराया गया है। बावजूद इसके समस्या हल नहीं हो रही है।
मोहनपुर के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में बीएसएनएल का टावर खड़ा है। पिछले एक वर्ष तक थोड़ा बहुत नेटवर्क मिलता था, लेकिन सात महीने से बंद पड़ा है। इससे पंचायत के काम लंबित होने से विकास कार्यों पर ग्रहण लगा है। साथ ही ऐसे में यदि सर्पदंश की घटना हो जाए या फिर अचानक स्वास्थ्य बिगड़ता है तो आशा कार्यकर्ता, एंबुलेंस को कॉल नहीं कर सकते, क्योंकि नेटवर्क ही नहीं रहता।
इसकी वजह से पांच से छह लोगों की जान जाने की बात ग्रामीणों ने कही है। चार माह पूर्व ग्राम पालागोंदी में एक कार्यक्रम आयोजित था, जिसमें पूरे जिला प्रशासन के अमले की मौजूदगी में समस्या बताई गई थी। तब आश्वासन मिला था कि जल्द यह समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन वर्षाकाल आने बाद हालत जस के तस बने हैं। यही हाल सोनेवानी सहित अन्य गांवों में भी है।
नेटवर्क के अभाव में केवायसी, पेंशन आवेदन, संबल योजना, मनरेगा योजना अंतर्गत निर्माण कार्यों का जीओटेक नहीं हो रहा है। साथ ही वर्क रजिस्ट्रेशन, डिमांड डालना, मस्टररोल जनरेट करना, मजदूरों की आनलाइन हाजरी, मस्टर रोल फील करने आदि के कार्य लंबित हो रहे है।