
नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। बालाघाट शहर में आवारा कुत्तों का आतंक जानलेवा बनता जा रहा है। लगभग 15 दिन पहले आवारा कुत्ते के काटने से घायल की लंबे उपचार के बाद मौत हो गई। वार्ड नंबर-9 निवासी जमीर खान (55) मेकेनिक (वाहनों में वायरिंग) का काम करते थे। जानकारी के अनुसार, 23 नवंबर को जमीर नमाज पढ़ने जामा मस्जिद जा रहे थे। रास्ते में पुलिस कॉलोनी के पास उन्हें एक पागल कुत्ते ने काट दिया। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाकर कर इंजेक्शन लगाए गए। तीन इंजेक्शन लग चुके थे।
चौथा इंजेक्शन 20 दिसंबर को लगना था, लेकिन दो दिसंबर को जमीर का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। उन्हें गोंदिया के प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। डॉक्टर हैरान थे कि रेबीज का इंजेक्श लगने के बाद भी मरीज की हालत क्यों बिगड़ी। हालत बिगड़ने पर जमीर को मेडिकल कॉलेज नागपुर रेफर किया गया। उन्हें शनिवार रात एडमिट किया गया, लेकिन देर रात उनका निधन हो गया।
जमीर को एंटी रेबीज के तीन इंजेक्शन लग चुके थे। इसके बाद भी उनकी हालत खराब हुई और अंतत: उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जिला अस्पताल में लगने वाले एंटी रेबीज के इंजेक्शन की गुणवत्ता ठीक नहीं है? क्या ये असरदार नहीं हैं? इस संबंध में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन का कहना है कि मरीज की मौत की असली वजह क्या है, नागपुर के डॉक्टर ने अपनी डायग्नोज रिपोर्ट में मौत की कौन-सी वजह उल्लेखित की है, पहले ये जानना जरूरी है। तीन इंजेक्शन लगने के बाद आमतौर पर रेबीज के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। कई मरीजों को यहां पर इंजेक्शन लगने के बाद राहत मिली है, लेकिन जमीन की मौत क्या सच में रेबीज के संक्रमण से हुई है या अन्य कारण से, ये स्पष्ट होना जरूरी है।
जानकारी के अनुसार, घटना वाले दिन जमीर सुबह पांच बजे की नमाज पढ़ने पैदल जामा मस्जिद जा रहे थे, तभी उन पर एक आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया। कुत्ते ने जमीर के दाएं की हाथ की छोटी ऊंगली काट ली, जिससे वह लहूलुहान हो गए। बताया गया कि जिस कुत्ते ने जमीर पर हमला किया था, वह पहले भी राह चलते कई लोगों पर हमला कर चुका है।
लोग उसे पागल मानकर अक्सर पास जाने से बचते थे। बता दें कि शहर में नगर पालिका की ढिलाई के चलते आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक नहीं लग पा रही है। इनके बधियाकरण और टीकाकरण को लेकर नपा का उदासीन रवैया कायम है। इसी साल पिपरझरी के बालक की भी आवारा कुत्ते के काटने से मौत हो गई थी। एक महीने उपचार के बाद बालक ने दम तोड़ दिया था।