
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। देश को माओवादी समस्या से मुक्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 की समय सीमा तय की है। अब इसके लिए 115 दिन बचे हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए मध्य प्रदेश भी पूरी ताकत से जुटा है। पुलिस ने माओवादियों पर चौतरफा दबाव बना दिया है। शनिवार रात 10 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें चार महिलाएं हैं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार अभी भी लगभग 30 माओवादी सक्रिय हैं, इनमें 10 से महिलाएं भी हैं। अधिकतर की उम्र 30 वर्ष से कम है। यह सभी बालाघाट में सक्रिय हैं। माओवादी की तलाश के लिए मुखबिर तंत्र को और मजबूत कर दिया गया है। पुलिस ने पड़ोसी राज्यों से भी समन्वय बढ़ाया है। इसके साथ ही मददगारों को भी हिदायत दी गई है कि सहयोग किया तो बचेंगे नहीं। एक ग्रामीण पर कार्रवाई भी की गई है। पुलिस के इसी दबाव के चलते एमपी में सक्रिय रही महिला माओवादी सुनीता ने पिछले माह आत्मसमर्पण किया था।
अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में दूसरे राज्यों में समर्पण करने वाले नक्सलियों में 40 ऐसे हैं जो मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन में सक्रिय थे। सूत्रों के अनुसार सुनीता ने बताया था कि कुछ माओवादी समर्पण करना चाहते हैं, जबकि कुछ इसके पक्ष में नहीं हैं। लगभग एक माह से इस पर विवाद था। समर्पण कहां करें, इसे लेकर भी वे एक राय नहीं हो पा रहे थे। दरअसल, माओवादियों की सोच रहती है कि वह जिस राज्य के हैं वहीं पर समर्पण करें, जिससे उन्हें पुनर्वास में कोई दिक्कत नहीं आए।
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एमपी में सक्रिय माओवादियों में तीन छोड़ बाकी छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं। यही कारण है कि शनिवार को बालाघाट में समर्पण करने वाले माओवादी छत्तीसगढ़ में सर्मपण करना चाह रहे थे। इसके बाद उन्होंने वन विभाग के एक बीट गार्ड के माध्यम से हॉकफोर्स के अधिकारियों से संपर्क किया। पुलिस का भरोसा मिलने पर उन्होंने बालाघाट रेंज के आइजी के बंगले के बाहर आकर समर्पण किया।