
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। महाकुंभ सिंहस्थ 2028 नजदीक है, लेकिन 5240 करोड़ रुपये की 74 महत्वाकांक्षी योजनाएं अभी भी कागजों में ही अटकी पड़ी हैं। मुख्य वजह है चार महीने से मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली पर्यवेक्षण समिति की बैठक न होना। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में तय बैठकें विशेष कारणों से स्थगित होती रही हैं। परिणामस्वरूप सड़क, पुल, बिजली, पानी सहित मंदिर विकास की अधिकांश परियोजनाएं धरातल पर आकार नहीं ले पा रही।
मालूम हो कि उज्जैन में हर 12 वर्ष पर आयोजित महाकुंभ में दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान के लिए आते हैं। इस बार महाकुंभ वर्ष 2028 में 27 मार्च से 27 मई तक लगना है। दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए सुरक्षित, सुविधाजनक और आधुनिक व्यवस्थाओं की अपेक्षा है, लेकिन वर्तमान स्थिति सवाल खड़े कर रही है कि काम कब शुरू होगा और कब पूरा होगा।
पर्यवेक्षण समिति की आखिरी बैठक 18 जून 2025 को हुई थी, जिसके बाद छठी बैठक की तारीख लगातार आगे बढ़ती रही है। अधिकांश विभागों ने अपने प्रस्ताव तैयार कर राज्य शासन को भेज दिए हैं। कागजों में दर्ज परियोजनाओं में सड़क चौड़ीकरण, नए पुल, घाटों का विस्तार, ट्रैफिक सुधार, आवास व्यवस्था, पेयजल और सीवरेज लाइनें शामिल हैं। योजनाएं जितनी बड़ी है, समय उतना कम बचा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वीकृति के बाद निविदा प्रक्रिया और निर्माण की समयसीमा को देखते हुए तेजी से निर्णय लिए जाने जरूरी है, अन्यथा काम अधर में रह जाने का खतरा बढ़ सकता है। शहर में 2022 में महाकाल महालोक के लोकार्पण के बाद पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई थी। सात करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने शहर का रुख किया और व्यवसाय व सेवाओं में उछाल देखने को मिला। सिंहस्थ 2028 में इसी मॉडल को आधार बनाकर पूरे शहर की आर्थिक प्रगति की तैयारी की जा रही है लेकिन प्रशासनिक स्वीकृतियों की देरी इस महत्वाकांक्षा पर सीधा असर डाल रही है।
स्थानीय व्यापारी संगठनों और होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि परियोजनाएं समय पर लागू होती हैं तो शहर को एक स्थायी आर्थिक ढांचा मिलेगा। वहीं, धार्मिक स्थलों की कनेक्टिविटी और यातायात सुधार से श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना है। फिलहाल सभी की निगाहें पर्यवेक्षण समिति की अगली बैठक पर टिकी हैं। स्वीकृतियां मिलते ही विभाग निविदा प्रक्रिया शुरू कर पाएंगे और काम आगे बढ़ सकेगा। सिंहस्थ नजदीक होने के बावजूद तैयारियों की धीमी चाल प्रशासनिक तंत्र की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े कर रही है। योजनाओं को जल्द मंजूरी न मिली तो निर्माण की समयसीमा पर गंभीर संकट आ सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार 100 साल से अधिक पुरानी ऐतिहासिक धरोहर कोठी महल को वीर भारत संग्रहालय सह कुंभ केंद्र के रूप में तबदील कर रही है। ये भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर को सेहेजने और प्रस्तुत करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। इसके लिए प्रथम चरण में 75 करोड़ रुपये डेढ़ वर्ष पहले स्वीकृत किए गए थे, अब 200 करोड़ रुपये ओर स्वीकृत किए जाने को प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। यानी योजना 275 करोड़ रुपये की हो जाएगी।
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यहां कुंभ केंद्र में शोध होगा। शोध के विषय मुख्य रूप से समुद्र मंथन की कहानी, कुंभ के ज्योतिषीय महत्व का वर्णन, नीलकंठ का चित्रण, अखाड़े, नागा साधु, शिप्रा आरती, तीर्थ स्नान, कुंभ जुलूस है। संग्रहालय में भारत का परिचय देती गैलरी होगी। पांच डिजिटल और छह इमर्सिव एक्सपीरियंग देती गैलरी होगी। थीमैटिक पैनल गैलरी होगी। कैफेटेरिया, बच्चों के लिए इंटरैक्टिव लर्निंग जोन, एआर, वीआर अनुभव सहित कई सुविधाएं होंगी।