
डिजिटल डेस्क। मध्य प्रदेश देश के दिल में बसता है। यह प्रदेश अपनी हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के लिए पूरे देश में जाना जाता है। इसके साथ ही प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग संस्कृति और कल्चर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक कल्चर यहां की अनोखी शादियों को लेकर भी देखने को मिलता है, जो पिछले 500 सालों से रिवाज के तौर पर फॉलो किया जा रहा है। यह अनोखी परंपरा शहडोल में देखने को मिलती है, जहां एक ही समुदाय के लोग गांव में एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं। गांव में लड़के-लड़कियों की शादी गांव में ही हो जाती है।
अनोखा है गांव
प्रदेश के शहडोल जिले की खन्नाथ ग्राम पंचायत में कुर्मी-पटेल की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। इस गांव की कुल आबादी लगभग 4 हजार बताई जाती है, जिसमें अकेले करीब 60 प्रतिशत पटेल समुदाय के लोग रहते हैं। इसलिए इसे पटेलों का गांव भी कहा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब भी यहां कोई कार्यक्रम होता है तो पकान जैसी पूड़ी को ट्रॉली में रखा जाता है और पूरे गांव के लोग भोज में शामिल होते हैं। यह गांव अपने भक्तिभाव के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि यहां बड़ी संख्या में धार्मिक आयोजन होते हैं और लगभग हर घर में भागवत का आयोजन हो चुका है।
इन गांवों में सबसे ज्यादा रिश्तेदारी
ग्राम पंचायत के जिन गांवों में सबसे अधिक रिश्तेदारी देखने को मिलती है, वे हैं बोडरी, पिपरिया, खैरहा, नौगांव, चौराडीह, कंचनपुर, बंडी और नदना। अगर शादी गांव के बाहर भी होती है, तो बारात इन्हीं गांवों से आती या इन्हीं गांवों में विदा होती है।
लड़का–लड़की चुनते हैं रिश्ता
गांव के पटेल समुदाय के लोग बताते हैं कि उनके समाज में लड़के और लड़कियों को अपने मन से शादी करने की आज़ादी है। वे अपनी पसंद का जोड़ा चुनकर परिवार को बताते हैं, जिसके बाद परिवार रिश्ता देखकर आगे की तैयारी शुरू कर देता है। इस गांव की खास बात यह है कि यहां पटेल समुदाय के लोग बिना दहेज के शादी करते हैं। वे किसी भी तरह के दहेज के खिलाफ हैं। जब रिश्ता पसंद आता है तो दोनों परिवार आपस में घर पर भोजन करवाते हैं और नेंग देकर रिश्ते को पक्का मान लिया जाता है। हालांकि अब कुछ शादियां बाहर भी होने लगी हैं, लेकिन संख्या अभी भी काफी कम है।