नईदुनिया प्रतिनिधि,भोपाल। जीआरपी पुलिस ने करीब 13 दिनों से पूरे देश में सुर्खियों में छाई कटनी की अर्चना तिवारी की गुमशुदगी का बुधवार को पर्दाफाश कर दिया। वकील होने के कारण कानूनी दांव पेंचों को अच्छी तरह से समझने के कारण अर्चना ने खुद ही घर से भागने का बड़ा फुल प्रूफ प्लान तैयार किया था, जिसमें करीबी दोस्त और एक सहयोगी को इसमें शामिल था। प्लानिंग इतनी मजबूत की थी कि फोन और घड़ी को ऐसे स्थान पर फेंका गया, जहां नेटवर्क नहीं था, ताकि वह लास्ट लोकेशन आसपास की बताता रहे। सामान ट्रेन की सीट पर छोड़ा गया है, ताकि पुलिस को लगे कि लड़की के साथ कोई अनहोनी हुई है।
ट्रेन में इंदौर से सवार होकर इटारसी उतरना था तो स्टेशन से पहले आउटर पर ऐसी जगह चुनी, जहां सीसीटीवी न हो। बाद में दोस्त की एसयूवी में सवार होकर ऐसे रास्तों से गुजरा गया, जहां कोई टोल न पड़े, जिससे कोई उन्हें पहचान न सके। इसलिए पहले राज्य से बाहर गई और बाद में देश को ही छोड़ दिया। यह सब सिर्फ इसलिए कि उनके स्वजन इस बार राखी पर घर आने पर उनकी मर्जी के लड़के से शादी तय कर उनको घर से विदा करने जा रहे थे। जिसके लिए वह तैयार नहीं थी और वह अपने मनपसंद लड़के से शादी तय न होने से नाराज थी।
अपनी जिंदगी अपनी तरीके से जीना चाहती थी। इतना सब करने के बाद भी पुलिस ने उसे ढूंढ़ निकाला और पुलिस कार्रवाई किए बिना के स्वजनों के सुपुर्द कर दिया। जीआरपी पुलिस के मुताबिक सात अगस्त को इंदौर से बिलासपुर जाने वाली नमर्दा एक्स (18233) कोच बी-3 बर्थ नंबर कटनी की रहने वाली 29 वर्षीय अर्चना तिवारी अपने घर जाने के लिए सवार हुई थी। वह हाई कोर्ट में एडवोकेट एवं सिविल जज की तैयारी इंदौर में रहकर कर रही थी। घर न पहुंचने पर भाई अंकुश तिवारी ने उसकी एफआईआर कराई थी।
एसपी रेल राहुल लोढ़ा ने बताया कि अर्चना की तलाश के लिए रेलवे स्टेशन इंदौर, भोपाल, सीहोर, रानी कमलापति, नमर्दापुरम, इटारसी, पिपरिया, करेली, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, बिलासपुर तक और शहरों में लगे लगभग दो हजार सीसीटीवी खंगाले गए। नर्मदा नदी के आसपास करीब 32 किलोमिटर तक एसडीआरएफ एवं जीआरपी द्वारा सर्च आपरेशन चलाया गया। रानी कमलापति से जबलपुर तक अलग-अलग टीमें बनाकर पैदल सर्चिंग की गई। एवं बरखेड़ा से बुदनी तक वन विभाग के साथ जीआरपी की टीमों के साथ जंगल में सर्च ऑपरेशन में उतारा गया था।
अर्चना की तलाश के लिए उसके मोबाइल नंबर की डिटेल से कोई जानकारी नहीं मिल पाई तो पुलिस ने उसके वॉट्सएप नंबर की डिटेल खंगाली, जिसमें छह माह की डिटेल निकली तो एक नंबर मिला। जिस पर रात में लगातार और लंबी बात होती थी। वह नंबर शुजालपुर जिला शाजापुर निवासी 26 वर्षीय सारांश जोकचंद का था। जो इंदौर के विजय नगर में ड्रोन का स्टाटअप चलाता था और रोजाना शुजालपुर से इंदौर अपडाउन करता था। उसकी छह माह पहले ही अर्चना से परिचय हुआ था।
उसे हिरासत में लेकर जब पूछताछ की तो पुलिस को गुमराह कर दिया। उसकी मोबाइल डिटेल से भी कुछ नहीं मिला। जांच के दौरान दूसरा नंबर पुलिस को पंजाब के रहने वाले टैक्सी ड्राइवर तेजेंदर सिंह मिला। जो इटारसी में स्टेशन से करीब डेढ़ सौ मीटर अपने चाचा के पास रहता था। पुलिस उस तक पहुंची तो पता चला कि वह दिल्ली एक ठगी के मामले तिहाड़ जेल में बंद है। जब टीम ने दिल्ली जाकर पूछताछ की तो उससे भी कुछ नहीं मिला। टीम वापस भोपाल आ गई।
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अगस्त को भोपाल जीआरपी की एक टीम दो युवकों को पालीग्राफी टेस्ट कराने के लिए दिल्ली गई थी।जहां तेजेंदर सिंह को दिल्ली पुलिस ने जेल से रिमांड पर ले रखा था। जिस पर टीम ने दोबारा पूछताछ की और उससे अर्चना की हत्या करने जैसे सवाल पूछे और उसे बताया कि सारांश जोकचंद की भी गिरफ्तारी हो गई है ।यह सुनकर वह टूट गया और पूरी कहानी बताई ।इसके बाद पुलिस ने सारांश को हिरासत में लेकर दोबारा पूछताछ की।
छह अगस्त को अर्चना तिवारी हरदा कोर्ट में एक केस के सिलसिले पहुंची थी। उसने जहां सारांश जोकचंद बुलाया और मुझे बुलाया और कहा कि वह घर वालों से परेशान है, वह शादी करने को लेकर दवाब बना रहे हैं।वह उनसे पीछा छुडाना चाहती है और अपने तरीके जिदंगी जीना चाहती है। इसके लिए उसने प्लानिंग की थी। अर्चना का कहना था कि इस बार रक्षाबंधन वह ट्रेन से घर जाएगी और चलती ट्रेन से इटारसी पर ऐसे स्थान पर उतरेगी, जहां सीसीटीवी न हो। सारांश कार से इटारसी पहुंचेगा, जहां से वह गायब हो जाएगी। उसने टैक्सी ड्राइवर तेजेंदर सिंह से कहा कि वह स्टेशन पर ऐसे स्थान तलाशे, जहां सीसीटीवी न हो। बता दें कि तेजेंदर सिंह और सारांश आपस में पुराने दोस्त थे और इंदौर में पांच साल पहले साथ रूम पार्टनर रह चुके थे। अर्चना करीब चार माह से तेजेंदर सिंह की टैक्सी से वह ट्रेवल कर रही थी।
सात अगस्त को अर्चना तिवारी रक्षाबंधन पर कटनी घर जाने के लिए इंदौर से ट्रेन में सवार हुई। सारांश कुछ कपड़े लेकर एसयूवी से नर्मदापुरम स्टेशन पहुंचा। जहां उसे तेजेंदर सिंह मिला। उसने अर्चना के लिए कपड़े उसे दिए और खुद कार से ईटारसी आ गया। ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचने के बाद तेजेंदर सिंह ने कपड़े अर्चना को दिए। अर्चना ने ट्रेन में कपड़े बदले और इटारसी स्टेशन आने से पहले बी 3 कोच से एसी ए 2 में पहुंच गई। उसने तेजेंदर ने इटारसी स्टेशन के आउटर उसे उतारा, जहां सीसीटीवी नहीं था। अर्चना ने अपना सामान बी 3कोच की सीट पर ही छोड़ दिया और तेजेंदर सिंह को अपना मोबाइल और घड़ी देकर कहा कि इसे बांध तवा-मिडघाट के बीच में फेंक देना।
बाद में इटारसी स्टेशन के बाहर पहले कार में इंतजार कर रहे सारांश के साथ शुजालपुर गई। कार को ऐसे रास्तों निकाला गया, जहां टोल न मिले। जिसमें टोल कटने और सीसीटीवी आने का खतरा हो।उसके बाद उसे एक स्थान से दूसरा मोबाइल ले लिया। जब उसने देखा जीआरपी में गुमशुदगी का मामला ज्यादा बड़ा हो गया तो उसने प्रदेश छोड़ने के लिए कहा। सारांश उसे लेकर बुरहानपुर पहुंचा और वहां से बस से हैदराबाद में कुछ दिन रहे। तब भी मामला ठंडा नहीं हुआ तो जोधपुर, फिर दिल्ली होकर वह 11 अगस्त को धनगुढ़ी नेपाल पहुच गई फिर धनगुढ़ी से काटमांडु पहुच गई। नेपाल में सारांश के एक दोस्त वायपी देवकोटा था। जहां अर्चना के रुकने और दूसरी सिम दिलाकर ही वापस इंदौर लौटा आया और वॉट्सएप कॉल पर बात करता था।
पूरे मामले के खुलासे के बाद पुलिस को अर्चना को वापस लाना एक चुनौती थी। जीआरपी एसपी राहुल लोझा नेपाल में भारतीय दूतावास से बात की और सारंश से अर्चना की बात कराने पर उसे नेपाल से बुलवाया, लेकिन दिक्कत यह थी कि उसे पास आधार कार्ड था, लेकिन मतदाता पत्र नहीं था। जिसे अर्चना के इंदौर के घर भिजवाया गया। जहां से वह लखीमपुर खीरी पहुंची। जहां पुलिस ने उसे सकुशन बरामद कर भोपाल लाया गया।