नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। इस साल से नौवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में बेस्ट ऑफ फाइव योजना समाप्त होगी। इसमें पांच विषयों में न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक लाने वाले को छठे विषय में पास मानकर उत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता था। इसकी नौबत सवा लाख से अधिक विद्यार्थियों को अधिकतर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में आती थी। योजना खत्म होने के बाद परिणामों पर इसका असर दिख सकता है।
इससे बचने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने रेमेडियल कक्षाओं पर जोर बढ़ा दिया है। प्राचार्यों को अलग से कक्षाएं लगाने, कमजोर विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। नौवीं व 10वीं कक्षा की पढ़ाई को लेकर अधिकारियों को स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को हर रोज कम से कम 10 स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट भेजनी होगी। इसमें शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर रेमेडियल कक्षाओं के संचालन की निगरानी करनी होगी।
नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा यह चिन्हित किया जाएगा कि कौन सा विद्यार्थी किस विषय में कमजोर है या उसे किन विषयों में कम अंक आए हैं। इसमें मुख्य रूप से गणित और अंग्रेजी के लिए कक्षाएं लगाई जाएंगी। अगर किसी विद्यार्थी को अन्य विषयों में समस्या है तो उसके समाधान के लिए भी कक्षाएं लगाई जाएंगी। इधर, मंडल ने परीक्षाओं के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। इसके तहत पेपर तैयार करने की ट्रेनिंग शामिल है। ये शिक्षक अपने-अपने जिलों में जाकर भी संबंधितों को ट्रेनिंग देंगे। बता दें कि तीन नवंबर से नौवीं से 12वीं तक की छमाही परीक्षा आयोजित की जा रही है।
अगले सत्र से 10वीं में समाप्त होगी बेस्ट ऑफ फाइव योजना
इस साल से नौवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में बेस्ट ऑफ फाइव योजना समाप्त होगी। यानी फरवरी 2026 में होने वाली वार्षिक परीक्षा में बेस्ट ऑफ फाइव लागू नहीं होगा। सत्र 2027-28 से 10वीं कक्षा में भी बेस्ट ऑफ फाइव योजना समाप्त होगी। यानी अगले साल बोर्ड परीक्षा में यह योजना लागू नहीं होगी। नौवीं की वार्षिक परीक्षा में प्रत्येक विषय में तिमाही व छमाही परीक्षा का पांच-पांच फीसद अंक का अधिभार वार्षिक परीक्षा में जोड़ा जाएगा।
मॉडल पेपर को स्कूलों में भी हल करवाया जाएगा
मप्र बोर्ड 10वीं-12वीं के मॉडल पेपर भी जल्द वेबसाइट पर अपलोड करेगा। इन मॉडल पेपर को स्कूलों में भी हल करवाया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को बोर्ड पैटर्न और संबंधित प्रश्नों की जानकारी हो सके। अधिकारियों ने बताया कि अंक योजना और विभिन्न यूनिट के आधार पर जिस तरह से मुख्य परीक्षा के पेपर सेट किए जाते हैं, ठीक वैसे ही मॉडल पेपर भी बनाए जाते हैं। इस पर काम चल रहा है। इधर, स्कूलों के शिक्षकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे विद्यार्थियों को बताएं कि अंक के आधार पर शब्द सीमा का ध्यान कैसे रखें, ताकि उन्हें बेहतर अंक मिल सकें।
फरवरी से शुरू होंगी बोर्ड परीक्षाएं
मप्र की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं सात फरवरी से शुरू होंगी। इसके लिए मंडल ने विषय शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। मंडल के अधिकारियों ने बताया कि प्रश्नपत्र तैयार करने से लेकर उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन से जुड़ी जानकारी भी शिक्षकों को बताया जा रहा है। प्रदेश भर से चुनिंदा विषय शिक्षकों को भोपाल में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वे अपने जिलों में इसकी जानकारी अन्य शिक्षकों से साझा करेंगे। यह प्रशिक्षण नवंबर तक जारी रहेगा।
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