
उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया, इंदौर। भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में भस्म हो चुका है। अगले एक माह में इसकी राख को जमीन में दबाया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। पीथमपुर में इस कचरे की राख को सुरक्षित दबाने के लिए ट्रीटमेंट, स्टोरेज, डिस्पोजल फेसिलिटी (टीएसडीएफ) परिसर में लैंडफील्ड साइट तैयार हो चुकी है। अब इसमें एचडीपीई लाइनर बिछाने का काम शुरू हो गया है। इसके बाद कचरे की राख को लैंडफील्ड साइट में दबाया जाएगा।
गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को पीथमपुर में रिसस्टेनिबिलिटी कंपनी के भस्मक संयंत्र में जलाने के बाद 900 टन राख बची है। कचरे को जलाने की प्रक्रिया में उसके हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए इसमें उतनी ही मात्रा में चूना व सोडियम सल्फाइड भी मिलाया गया था। इस वजह से यूनियन कार्बाइड के कचरे से तीन गुना ज्यादा मात्रा में राख एकत्र हुई है।
पीथमपुर में टीएसडीएफ परिसर में दो हजार मीट्रिक टन क्षमता की लैंडफील्ड साइट तैयार कर ली गई है। जमीन से 1.5 मीटर ऊंचाई पर कचरे को सुरक्षित रखने के लिए एक प्लेटफार्म तैयार किया गया है। इसमें दो मिमी का काले रंग का एचडीपीई लाइनर बिछाने का कार्य भी शुरू हो गया है।
बिछाने के साथ मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम द्वारा लाइनर की मजबूती, खिंचाव, लीक प्रूफ व शियर टेस्ट भी किया जा रहा है। यह जांच इस बिछाए जा रहे लाइनर की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है ताकि जब लैंडफील्ड साइट में राख को दबाया जाए तो उसका किसी तरह का रिसाव ज़मीन में न हो।
पीथमपुर में लैंडफील्ड साइट में जहां कचरे को दबाया जा रहा है। उसके 500 मीटर के दायरे में तारपुर गांव का रहवासी इलाका है। नियमानुसार लैंडफील्ड साइट में जहां कचरा दबाया जाता है उसके 500 मीटर का क्षेत्र बफर जोन होना चाहिए और वहां किसी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए। जबलपुर हाई कोर्ट में पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान इस लैंडफील्ड साइट में राख को दबाने के बजाय अन्य किसी स्थान पर लैंडफील्ड साइट बनाकर दबाने की बात भी कोर्ट ने कही थी। इस संबंध में राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी गई थी। राज्य सरकार के गैस राहत विभाग ने इस संबंध में 29 नवंबर को कोर्ट में एक एफिडेविट भी पेश किया है।