नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय (बीयू) की परीक्षाओं के लिए कॉलेजों के प्राध्यापकों ने प्रश्नपत्र तैयार करने और प्रायोगिक परीक्षा लेने से इनकार कर दिया है। बीयू ने पिछले दो सालों के उनके इस तरह के कार्यों के लिए मानदेय का भुगतान ही नहीं किया है। करीब दो हजार प्राध्यापकों के तीन करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान बकाया है। विवि प्रबंधन का कहना है कि भुगतान नहीं होने का कारण ऑडिट विभाग द्वारा फाइलों को रोका जाना है।
बता दें कि बीयू ने मार्च से प्राध्यापकों के मूल्यांकन, प्रैक्टिकल, पेपर सेट और अन्य कार्यों के बिल लगाकर ऑडिट विभाग को भेजे थे, जिसमें से एक भी बिल का भुगतान नहीं हुआ है। वहीं कॉलेजों में चलने वाले प्रैक्टिकल लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऑडिट विभाग का कहना है कि विवि में सिर्फ कुलसचिव और कुलगुरु को भुगतान करने की अनुमति है।
बीयू के सहायक कुलसचिव बिल भुगतान के लिए फाइल भेज रहे हैं। उनके बिलों में कोई भी वित्त और प्रशासनिक स्वीकृति नहीं है, इसलिए भुगतान रोक दिया गया है। प्राध्यापकों का कहना है कि इस विवि से मानदेय का भुगतान कराना बहुत मुश्किल प्रक्रिया है।
सितंबर में 2500 बिलों का भुगतान होने के लिए फाइल ऑडिट विभाग भेजी गई थी, जिसका रजिस्टर में एंट्री है। एक माह फाइल रखने के बाद यह कहते हुए लौटा दी कि इसमें वित्त और प्रशासनिक स्वीकृति नहीं है। बीयू अधिकारियों का कहना है जब स्वीकृति नहीं थी, तो उसे तत्काल लौटाना चाहिए था। एक माह तक रोक कर रखा गया और जब पूछताछ की गई, तो बिलों पर आपत्ति लगाकर लौटा दिया गया।
दीपावली के बाद बिल को दिखवाएंगे ऑडिट विभाग ने आपत्ति क्यों लगाई है। जल्द से जल्द बकाया का भुगतान किया जाएगा। - एसके जैन, कुलगुरु, बीयू