नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में अब स्टेट हाईवे भी बेसहारा गोवंश मुक्त किए जाएंगे। प्रायोगिक तौर पर गोवंश के लिए हाईवे किनारे टीन शेड का बाड़ा (गोशालाओं) का निर्माण कराया जाएगा। सड़क बनाने वाली कंपनी ही गोशाला बनाएगी। बेसहारा पशुओं को एकत्र कर यहां लाने की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही होगी। नई सड़कों के निर्माण में जारी किए जाने वाले टेंडर की शर्तों में ये प्रविधान किए जा रहे हैं।
टीन शेड का बाड़ा बनाकर गायों को सड़क से रेस्क्यू कर यहां छोड़ा जाएगा। साथ ही सड़क किनारे चबूतरे भी बनाए जाएंगे, ताकि गोवंश सड़क की जगह इस पर बैठ सके। हाईवे के प्रत्येक पांच किलोमीटर के दायरे में यह व्यवस्था होगी। इसके लिए एक बड़ा रेस्क्यू वाहन रखा जाएगा, जो गोवंश को सड़क से लाकर टीन शेड के बाड़े में छोड़ दे। सड़क बनाने वाली संबंधित एजेंसी स्थानीय प्रशासन के समन्वय से यह व्यवस्था करेगी।
होते रहते हैं हादसे
गीली जमीन होने की वजह से अकसर गोवंश सूखी सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं। कई बार तेज गति के वाहनों से उनकी टक्कर हो जाती है। दुर्घटना से गोवंश और वाहन में सवार लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री स्वयं भी गोवंश प्रेमी हैं और गोशालाओं में उन्हें अकसर गायों की सेवा करते देखा जा सकता है।
सड़कों पर गोवंश की मौतों पर विधानसभा में हो चुका है हंगामा
मध्य प्रदेश में सड़कों पर गोवंश के बैठने और तेज रफ्तार वाहनों द्वारा दुर्घटना का शिकार होकर मारे जाने को लेकर विधानसभा में हंगामा हो चुका है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही इस मुद्दे को सदन में उठाया था। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित तमाम वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों ने गोवंश के संरक्षण और उनकी सुरक्षा उपाय के लिए कई सुझाव दिए थे। कुछ सुझावों पर अमल करते हुए मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने यह कवायद शुरू कर दी है।
सबसे अधिक समस्या नेशनल हाईवे पर
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) भोपाल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर देवांश नवल का कहना है कि गोवंश के सड़कों पर बैठने और वाहनों से दुर्घटनाग्रस्त होने की सबसे अधिक समस्या नेशनल हाईवे पर है। इसके लिए एनएचएआइ ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर रेस्क्यू दल बनाया है जो टोल नाका पर उपलब्ध काऊ कैचिंग व्हीकल की मदद से गोवंश को सड़क से रेस्क्यू कर नजदीक की गोशालाओं में छोड़ता है।
60 किलोमीटर के दायरे में यह वाहन दिन में दो बार और रात में दो बार चक्कर लगाता है। रायसेन, नर्मदापुरम और गुना जिला प्रशासन ने अपने जिलों की सड़कों पर यह व्यवस्था शुरू कर दी है। गायों की गर्दन और सींग पर रेडियम लगाया जाता है ताकि वाहन दूर से ही गायों को देख लें और वाहन धीमा कर सकें। यदि प्रशासन सभी जिलों में ऐसी पहल करे तो गोवंश से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
वर्जन
भरत यादव, प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का कहना है कि "कुछ सड़कों पर प्रयोग के तौर पर सड़क किनारे गोशालाएं बनाई जाएंगी। गोवंश को सड़कों से रेस्क्यू कर गोशालाओं में छोड़ा जाएगा। यह कार्य सड़क बनाने वाली कंपनी ही करेगी। टेंडर की शर्तों में इसके प्रविधान कर रहे हैं। परिणामों के आधार पर आगे कार्रवाई करेंगे।"