
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश में किसी भी विभाग को पांच साल और कोई योजना चलानी है तो इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा कि ऐसी योजना की विश्लेषण रिपोर्ट दी जाएगी ताकि विभाग अपने अभिमत के साथ इन्हें कैबिनेट के सामने रख सके। इसमें विभागों को यह बताना होगा कि वे योजना को क्यों निरंतर रखना चाहते हैं। अभी तक इससे क्या लाभ हुआ है और आगे क्या परिणाम आएंगे।
प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं ऐसी हैं, जो लंबे समय से चली आ रही हैं। इनमें अनुसूचित जाति-जनजाति विकास, अधोसंरचना विकास से जुड़ी योजनाएं हैं। इनके लिए केंद्रांश भी मिलता है औ राज्यांश भी दिया जाता है। 16वें वित्त आयोग की अवधि एक अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक पांच साल रहेगी। आयोग की अनुशंसा पर राज्य को मिलने वाले केंद्रीय करों में हिस्सा, सहायता अनुदान आदि का निर्धारण होगा। इसके अनुसार ही सरकार आगामी पांच वर्ष की कार्य योजना बनाएगी।
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इसमें उन योजनाओं को लेकर निर्णय पहले लिया जाएगा, जिन्हें विभागों को निरंतर रखना है। ऐसे योजनाओं के लिए विभागों को यह बताना होगा कि वे योजना को जारी क्यों रखना चाहते हैं। इनसे अब तक क्या परिणाम मिले हैं और आगे क्या अपेक्षा की जा रही है। इसके आधार पर वित्त विभाग की अनुशंसा पर कैबिनेट की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए विभागों को 10 दिसंबर तक अभिमत के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।