
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. समेंद्र कारखुर ने इटली के फ्लोरेंस शहर में आयोजित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ''फ्लोरेटिना आईकूर 2025'' में भाग लिया। दुनिया भर से आए करीब 1800 नेत्र रोग विशेषज्ञों के बीच डॉ. कारखुर ने आंख की रेटिना में होने वाले खतरनाक वायरल संक्रमण और उसके इलाज की जटिलताओं पर अपनी बात रखी।
सम्मेलन में डॉ. कारखुर ने बताया कि वायरल रेटिनाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) वाले लोगों को होता है। इनमें ब्लड कैंसर के मरीज, कीमोथेरेपी ले रहे लोग, एचआईवी पाजिटिव मरीज और बुजुर्ग शामिल हैं। बच्चों में भी यह संक्रमण देखा जा सकता है।
डॉ. कारखुर ने चिकित्सा जगत को आगाह करते हुए कहा कि कई बार इस बीमारी के लक्षण सामान्य आंखों की समस्याओं जैसे दिखते हैं, जिससे गलत इलाज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में बिना सही जांच के केवल स्टेरायड देना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है और इससे मरीज हमेशा के लिए अंधा हो सकता है।
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सही समय पर विशेषज्ञ द्वारा रेटिना की सर्जरी या आंख में इंजेक्शन (इन्ट्राविट्रियल) और नसों के जरिए दवा देकर मरीज की रोशनी बचाई जा सकती है। फ्लोरेटिना सम्मेलन नेत्र रोगों पर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मेलनों में से एक है। यह 13वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस थी, जिसका आयोजन वर्ल्ड आरओपी कांग्रेस के सहयोग से किया गया। इसमें रेटिना और आंखों की जटिल सर्जरी पर वैश्विक मंथन हुआ।